काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के शोधकर्ताओं की एक दल द्वारा किए गए एक साल के अध्ययन में दावा किया गया कि भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके 'कोवैक्सीन' लगवाने वाले लगभग एक-तिहाई व्यक्तियों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा। शोधकर्ताओं ने इन स्वास्थ्य समस्याओं को ‘विशेष रुचि वाली प्रतिकूल घटनाओं’ या एईएसआई की संज्ञा दी है।
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अध्ययन में भाग लेने वाले 926 प्रतिभागियों में से लगभग 50 प्रतिशत लोगों ने शिकायत की है कि उन्हे कौवैक्सीन लगवाने के बाद श्वास संबंधी संक्रमण का सामना करना पड़ा है। यह संक्रमण उनके श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से में हुआ।
अध्ययन में दावा किया गया कि कोवैक्सीन लगवाने वाले एक प्रतिशत व्यक्तियों ने एईएसआई की शिकायत की, जिसमें मस्तिष्काघात एवं गिलियन-बर्र सिंड्रोम से ग्रस्ति हुए। इस सिंड्रोम में लोगों के पैरों का सुन्न होना शुरू होता है तथा यह लक्षण शरीर के अन्य अंगों में फैलने लगता है।
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पत्रिका स्प्रिंगर नेचर में प्रकाशित यह अध्ययन ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल दिग्गज एस्ट्राजेनेका द्वारा ब्रिटेन की अदालत में यह स्वीकार करने के बाद आया कि कोविशील्ड से खून के थक्के जम सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो सकते हैं।
बीएचयू के शोधकर्ताओं द्वारा जनवरी 2022 से अगस्त 2023 तक किए गए अध्ययन में बताया गया कि कोवैक्सीन लगवाने के बाद लगभग एक तिहाई व्यक्तियों ने एईएसआई की शिकायत की, जिसमें उन्हें त्वचा से संबंधित बीमारी, सामान्य विकार और तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ा। खासकर किशोरों को ये समस्याएं हुईं।
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शोध में 635 किशोर और 391 वयस्क शामिल थे। इन सभी लोगों को टीका लगवाने के एक साल बाद की जांच के लिए संपर्क किया गया था।
अध्ययन के मुताबिक, 10.5 प्रतिशत किशोरों को त्वचा से संबंधित बीमारियां, 10.2 प्रतिशत को सामान्य बीमारियां, 4.7 प्रतिशत तंत्रिका तंत्र से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त हुए।
अध्ययन में यह भी दावा किया गया कि कोवैक्सीन लगवाने के बाद 4.6 प्रतिशत महिलाओं में मासिक धर्म संबंधी असामान्यताएं देखी गईं।
इसमें यह भी बताया गया कि चार व्यस्कों (तीन महिला और एक पुरुष) की भी मौत हुई। इन चारों को मधुमेह था, जबकि तीन को उच्च रक्तचाप था और उनमें से दो लोगों ने कोवैक्सिन टीका लगवाया हुआ था।
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