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हर्ष मंदर पर छापे असहमति की आवाजें दबाने की साजिश, दो दर्जन से ज्यादा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की ईडी छापे की आलोचना

सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और दफ्तरों पर ईडी के छापों की विभिन्न सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने कड़ी निंदा की है। कार्यकर्ताओं ने कहा है कि मंदर के दफ्तर और घर पर छापे मानवाधिकारों की रक्षा करने वालों को डराने और धमकाने की कोशिश है।

सोशल मीडिया
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देश के जाने-माने सामाजिक, मजदूर, किसान और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संगठनों ने मानवाधिकार और सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर, दफ्तर और चिल्ड्रन होम पर ईडी के छापों को बदले की भावना से की गई कार्यवाही करार दिया है। दो दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं ने साझा बयान जारी कर इन छापों की भर्त्सना करते हुए कहा है कि, ‘ये छापे मानवाधिकार और शांति स्थापित करने वाले कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित करने और उन्हें धमकाने की कोशिश है। ये छापे ऐसे लोगों पर मारे गए हैं जो शांति, भाईचारा और एकता के लिए ईमानदारी से काम करते हैं।’

ध्यान रहे कि आज सुबह ही ईडी टीमों ने हर्ष मंदर के दिल्ली में वसंत कुंज स्थित घर, अधचिनी में उनके संगठन सीईएस के दफ्तर और महरौली में उनके द्वारा चलाए जा रहे चिल्ड्रन होम उम्मीद अमन घर पर छापे मारे हैं। हर्ष मंदर आज सुबह ही पत्नी के साथ जर्मनी के बर्लिन में एक स्कॉलरशिप कार्यक्रम के लिए रवाना हुए हैं।

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बयान में कहा गया है कि हर्ष मंदर और उनके संगठन सीईएस को हाल के वर्षों में लगातार प्रताड़ित करने की कोशिशें की गई हैं और सरकार की विभिन्न एजेंसिया उन्हें परेशान कर रही हैं। उनके ऊपर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) द्वारा झूठे आरोप लगाए गए हैं जिसका दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने भी जवाब दिया है। इस बारे में दिल्ली हाईकोर्ट में डीसीपीसीआर ने इस बाबत शपथ पत्र भी दाखिल किया है।

सीईएस और हर्ष मंदर पर दिल्ली पुलिस का आर्थिक अपराध शाखा और आयकर विभाग ने भी छापे मारे थे लेकिन उन्हें ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे साबित होता हो कि सीईएस द्वारा किसी किस्म के पैसे का हेरफेर किया गया है। बयान में कहा गया है कि ये सारे कदम मौजूदा सरकार द्वारा सरकारी संस्थाओं का दुरुपयोग है और असहमति की आवाजों को दबाने की कोशिश है।

बयान में सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हर्ष मंदर के साथ डटकर खड़े रहने की प्रतिबद्धता जाहिर की है।

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बयान में एमकेएसस की अरुणा रॉय, योजना आयोग की पूर्व सदस्य सैयदा हमीद, अर्थशास्तिरी ज्यां देरेज, शिक्षक अपूर्वानंद, वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंग, पीयूसीएल के महासचिव वी सुरेश और राष्ट्रीय सचिव कविता श्रीवास्तव, एआईपीडब्ल्यूए की महासचिव कविता कृष्णन, वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड, शोधकर्ता नव शरण सिंह, पीबीकेएमएस की अनुराधा तलवार, अनहद की शबनम हाशमी, फिल्म मेकर और शायर गौहर रजा, एनएफआईडब्ल्यू की एनी राजा, लेखिका फराह नकवी, एमकेएसस क निखिल डे और शंकर सिंह, लेखक पूर्वा भारद्वाज, पीयूसीएल महाराष्ट्र के लारा जेसानी, यूएएच के नदीम खान, शिक्षक ब्रिनेल डीसूजा और मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर सेड्रिक प्रकाश ने हस्ताक्षर किए हैं।

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