देश एक बेहद आर्थिक संकट के दौर में पहुंच चुका है। पहली तिमाही के अत्यंत निराशाजनक आंकड़े सामने आने के बाद तमाम अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत की विकास दर को लेकर अपने अनुमान बदलना शुरु कर दिए हैं। रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में कम से कम 11.5 फीसदी की गिरावट दर्ज होगी। ध्यान रहे कि इससे पहले मूडीज ने अर्थव्यवस्था में सिर्फ 4 फीसदी की गिरावट का अनुमान लगाया था, जिसे संशोधित कर 11.5 फीसदी कर दिया है।
मूडीज का कहना है कि भारत के लिए उसका यह अनुमान गिरती विकास दर, जरूरत से ज्यादा कर्ज और कमजोर वित्तीय प्रणाली पर आधारित है। मूडीज के मुताबिक भारत की फाइनेंशियल सिस्टम और अर्थव्यवस्था से देश की वित्तीय मजबूती में और गिरावट आ सकती है, जिससे भारत की वित्तीय साख पर गहरा असर होगा।
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इससे पहले वैश्विक रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैश भी भारत की जीडीपी में भारी गिरावट का अनुमान लगा चुकी है। गोल्डमैन सैश के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी में 14.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान है। वहीं फिच ने चालू वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है।
बात घरेलू रेटिंग एजेंसियों की करें तो एचएसबीसी और मार्गन स्टेनले ने जीडीपी में 5 से 7.2 फीसदी तक की गिरावट की बात कही है। वहीं क्रिसिल और इंडिया रेटिंग ने अर्थव्यवस्था में 9 और 11.8 फीसदी की गिरावट की आशंका जताई है।
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भारत में इस वर्ष जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है। आधिकारिक आंकड़ों में शुक्रवार को इसकी पुष्टि हुई है। कोविड-19 महामारी की वजह से भारत के कारखानों के उत्पादन की क्षमता पर साल-दर-साल के आधार पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के हालिया अनुमानों के अनुसार, जुलाई माह में औद्योगिक उत्पादन में 10.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुमान दस्तावेज में कहा गया है कि वर्तमान सूचकांक रीडिंग की तुलना कोविड-19 महामारी से पहले के महीनों से नहीं की जानी चाहिए।
मंत्रालय ने औद्योगिक उत्पादन में गिरावट की वजह बताते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों तथा देशभर में लागू राष्ट्रव्यापी बंद की वजह से कई औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान मार्च अंत से परिचालन नहीं कर पाए हैं।
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आईआईपी के हालिया आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2020 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 11.1 प्रतिशत घटा है, जो कि जून महीने में 15.9 प्रतिशत था। इसी तरह बिजली क्षेत्र का उत्पादन 2.5 प्रतिशत घट गया, जो कि जून में 10.2 प्रतिशत था। वहीं जुलाई, 2019 में इस क्षेत्र का उत्पादन 5.2 प्रतिशत बढ़ा था।
इसके अलावा जुलाई में खनन क्षेत्र के उत्पादन में 13 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि एक साल पहले इसी महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 4.9 प्रतिशत बढ़ा था। साल-दर-साल आधार पर डेटा से पता चला है कि प्राथमिक वस्तुओं के विनिर्माण में (माइनस) 10.9 प्रतिशत की गिरावट आई है, वहीं पूंजीगत सामान में (माइनस) 22.8 प्रतिशत और मध्यवर्ती माल में (माइनस) 12.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
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जुलाई में टिकाऊ उपभोक्ता सामान के उत्पादन में भी 23.6 प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं एक साल पहले समान महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 2.4 प्रतिशत घटा था। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्रिंसिपल अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मई और जून के महीने में देखी गई तेज रिकवरी अब कुछ हद तक कम होती जा रही है। इसका कारण देश के कई हिस्सों में स्थानीय या आंशिक या सप्ताहांत बंद है, जो अक्सर बिना किसी अग्रिम सूचना के लागू कर दिया जाता है।
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