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मॉनसून सत्रः आज से बिना सवालों के शुरू हुई लोकसभा, विपक्ष ने प्रश्नकाल स्थगित करने का किया विरोध

लोकसभा में प्रश्नकाल स्थगित किये जाने का विरोध करते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल को रद्द करना सांसदों को राष्ट्रीय महत्व के मामले उठाने से रोकने के बराबर है। यह लोकतंत्र का गला घोंटने का एक प्रयास है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

लोकसभा में प्रश्नकाल स्थगित करने के सरकार के फैसले ने सोमवार को मॉनसून सत्र के शुरुआती दिन विपक्षी दलों के बीच व्यापक नाराजगी पैदा कर दी, जिसमें सांसदों ने कहा कि यह कदम 'लोकतंत्र का गला घोंटने का' प्रयास है। विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसी भी प्रकार की जवाबदेही से बचने के लिए कोविड-19 महामारी का उपयोग कर रही है।

प्रश्नकाल नहीं होने का प्रस्ताव सोमवार की सुबह पारित हुआ। इसके बाद विपक्ष ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया। लोकसभा में प्रश्नकाल स्थगित किए जाने का मुद्दा उठाते हुए सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "प्रश्नकाल को रद्द करना सांसदों को राष्ट्रीय महत्व के मामले उठाने से रोकने के बराबर है।

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अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “प्रश्नकाल को संसदीय लोकतंत्र के सार के रूप में मान्यता प्राप्त है। प्रश्नकाल घंटे की व्याख्या सदन की आत्मा के रूप में की जा सकती है। यह सांसदों को आम लोगों की समस्या का प्रतिनिधित्व करने का अवसर देता है। यह हमारे लिए स्वर्णकाल (गोल्डन आवर्स) होता है। यह लोकतंत्र का गला घोंटने का एक प्रयास है।"

प्रश्नकाल स्थगित किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि पहले पूरे सदन को प्रश्नकाल स्थगित करने के सरकार के फैसले से सहमत होना चाहिए। वहीं तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय प्रक्रिया की मूल संरचना का एक अभिन्न अंग है और हम उस हिस्से को नष्ट नहीं कर सकते।

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सरकार के खिलाफ अन्य विपक्षी दलों से भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देखी गई। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रश्नकाल और निजी सदस्य का कार्य हमारे लोकतंत्र की 'बुनियाद' है और ये बेहद जरूरी हैं। औवेसी ने कहा, "इस तरह के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने से मंत्री शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को कमजोर कर रहे हैं, जो हमारे संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। मैं आपसे (अध्यक्ष) से आग्रह करता हूं कि कार्यपालिका को कानून के क्षेत्र में अतिक्रमण न करने दें।" ओवैसी ने इसे एक शर्मनाक दिन करार दिया।

इससे पहले सरकार द्वारा पेश प्रस्ताव में कहा गया कि लोकसभा का वर्तमान सत्र कोविड-19 महामारी के कारण एक असाधारण स्थिति में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें सामाजिक दूरी को बनाए रखना भी आवश्यक है। प्रश्नकाल खत्म किए जाने को लेकर उठ रहे सवालों के बीच संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा में कहा कि सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है।

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प्रहलाद जोशी ने कहा, "यह एक असाधारण स्थिति है। जब विधानसभाएं एक दिन के लिए भी बैठक करने को तैयार नहीं हैं, हम करीब 800-850 सांसदों के साथ बैठक कर रहे हैं। सरकार से सवाल करने के कई तरीके हैं, सरकार चर्चा से भाग नहीं रही है। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया है कि शून्यकाल में सरकार से सवाल किया जा सकता है।"

उन्होंने कहा कि लोकसभा में उपनेता और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, उन्होंने खुद और उनके सहयोगियों अर्जुन मेघवाल और वी. मुरलीधरन ने प्रश्नकाल को समाप्त करने से पहले लगभग हर पार्टी के सभी नेताओं से बात की है। उन्होंने कहा कि महामारी को देखते हुए महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, केरल, पंजाब जैसे कई राज्यों ने भी प्रश्नकाल स्थगित कर दिया और बुनियादी ढांचे का पालन किए बिना दो-तीन दिनों में 20-25 विधेयक (बिल) पारित किए।

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