संसद की कार्यवाही निर्धारित समय से 4 दिन पहले ही अनिश्चिकाल के लिए स्थगित करने को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा बीजेपी बुरे तरीके से एक्सपोज हो गई है, इस सत्र में वो मुद्दों से भागना चाहती थी। इसलिए इस हफ्ते जब हम चर्चा कर सकते थे, मुद्दों को उठा सकते थे, बिल को लोकसभा-राज्यसभा में पारित करा सकते थे, उस समय वो संसद की कार्यवाही को स्थगित कर भाग गई। गोगई ने कहा कि BJP अपने विफलताओं के कारण लोगों से भाग रही है, जनता से भाग रही है।
गोगोई ने आगे कहा कि बहुत से मुद्दे थे, जो हम संसद में उठाना चाहते थे हम अग्निपथ योजना पर चर्चा चाहते थे कि किस प्रकार ये हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करता है।
हम भारत और चीन सीमा विवाद, 5जी के ऑक्शन, जैसे मुद्दों से बीजेपी से जवाब चाहते थे, लेकिन बार-बार हमारी मांगों को खारिज किया गया।
कांग्रेस ने कहा कि BJP इस पार्लियामेंट को खोखला करना चाहती है। लेकिन कांग्रेस पार्टी हमेशा ही जनता के लिए लड़ती रहेगी। फिर चाहे महंगाई की बात हो, केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की बात हो।
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इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल पर गोगोई ने कहा कि हमने कल इस बिल को लोकसभा में पारित नहीं होने दिया। ये बिल बहुत ही खतरनाक है, किसानों के खिलाफ है। BJP ने इससे पूर्व झूठे दिलासे दिए थे किसान आंदोलन को कि वो बिल नहीं लाएंगे, लेकिन दोबारा उन्होंने यू-टर्न मारकर कल बिल लाने की कोशिश की, पारित करने की कोशिश की। हमारे विरोध के कारण इस बिल को स्टेंडिग कमेटी में भेजा गया और हम आज भी, इस हफ्ते और बिलों पर चर्चा करने के लिए तैयार थे, कम्पटीशन बिल वो लाए, हम तैयार थे।
'एंटी-मैरिटाइम पाइरेसी बिल' पर हमारे स्पीकर तैयार थे, लेकिन BJP के पास कोई जवाब नहीं है, ना कोई संकल्प है। यही वजह है कि चार दिन पहले ही इस पार्लियामेंट को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। गोगोई ने आखिर में कहा कि कांग्रेस पार्टी ने बहुत सी चीजें BJP की जो, उनकी जो काली करतूतें हैं, हमने उनका जनता के सामने पर्दाफाश किया।
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गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार का ये तर्क झूठा साबित हुआ कि ये यह हफ्ता बेकार चला गया, क्योंकि वास्तव में अगर कांग्रेस पार्टी ने उनके काम में बाधा डाली होती, तो अब जब सत्र चल रहा है, तो वो बिल, वो क्यों नहीं लाए राज्य सभा में? वो बिल जो वो लाना चाहते थे, पारित कराना चाहते थे, वो क्यों नहीं पारित हुए लोकसभा में? कल 12 बजे तक हम बैठते, 10 तारीख को 12 बजे तक बैठते। तो ये जो तर्क है, ये तर्क आज सरकार ने खुद ही उस तर्क की धज्जियां उडा दीं।
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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि चार दिन पहले दोनों सदन एडजर्न हुए हैं साइने डाई। ये बात सही है कि इन चार दिनों में दो दिन छुट्टी के दिन थे। पर विपक्ष तैयार था, 10 तारीख को वापस आने के लिए और 12 तारीख को वापस आने के लिए, क्योंकि कुछ ऐसे बिल थे, जो लोकसभा में पारित हुए थे और राज्यसभा में पारित होने वाले थे और कुछ ऐसे बिल थे जिनको इंट्रोड्यूज भी किया जा सकता था और पारित भी किया जा सकता था, पर वो हो नहीं पाया। बीजेपी के सांसद ही खुद चाहते थे कि भाई 8 तारीख को ही हमें साइने डाई एडजर्न करवा दीजिए।
जयराम रमेश ने कहा कि 17 जुलाई को जब सर्वदलीय बैठक हुई थी, सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मानसून सत्र में 32 विधेयक या तो पेश किए जाएंगे या पारित किए जाएंगे। पर हकीकत ये है कि लोकसभा में इस सत्र में सिर्फ 7 बिल पास हुए और राज्यसभा में सिर्फ 5 बिल पास हुए। तो कहने और करने में बहुत फर्क है।
कहा तो बहुत कुछ 17 जुलाई को, पर निकला क्या? रमेश ने बताया कि विपक्ष की ओर से 17 जुलाई को हमने 13 मुद्दों को उठाया था, जिस पर हम चर्चा चाहते थे मानसून सत्र में, पर हमें मालूम था कि 13 में से समय के अभाव के कारण 6 या 7 लिए जा सकते हैं। पर उन 13 मुद्दों से सिर्फ एक ही मुद्दे पर चर्चा हो पाई और वो भी दो हफ्ते के विलंब के बाद।
दो हफ्ते के लिए सरकार राजी नहीं हुई। दो हफ्ते के बाद विपक्ष के दबाव के कारण महंगाई और जीएसटी पर बहस हो पाई लोकसभा में और राज्यसभा में।
जयराम रमेश ने कहा कि मांगें दो थी, सीधा- गैस सिलेंडर के दाम घटाओ और जो जीएसटी लगाया गया है, खाद्य पदार्थों पर, उसको हटाओ। इन दोनों मांगो पर बहस हुई, हमारी ओर से हमने ये मांगे की, पर सरकार मानी नहीं, वित्तमंत्री मानी नहीं।
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जयराम रमेश ने कहा कि ये निराशाजनक सत्र था, क्योंकि हम मुद्दे उठा नहीं पाए, खासतौर से अग्निपथ, पर हमने इतने नोटिस दिए। सीमा पर जो हमारी चुनौतियां हैं, उस पर हमने कई नोटिस दिए और कई-कई राज्यों से संबंधित मुद्दे थे, जिनपर हमने नोटिस दिया था, उस पर चर्चा नहीं हो पाई। कांग्रेस ने पीएम पर तंज कसते हुए कहा कि पर शुक्र है कि वेंकैया नायडू जी के अलविदा के बहाने से प्रधानमंत्री ने एक घंटा राज्यसभा में गुजारा, कई सेशन के बाद।
उन्होंने आगे कहा कि पहली बार 16 विपक्षी पार्टी और दो निर्दलीय सांसदों ने एक ज्वाइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर किया, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय हैं पीएमएलए के संशोधन के बारे में, जो 2014 और 2018 के बीच में लाया गया था मोदी सरकार की ओर से, उस निर्णय के खिलाफ अपनी बुलंद आवाज उठाई और उन्होंने कहा कि हम इसका रिव्यू करवाएंगे। 16 पार्टी, जिसमें टीएमसी और आम आदमी पार्टी भी शामिल थी और दो निर्दलीय सांसद राज्यसभा के शामिल हैं। मैं समझता हूं कि ये बहुत बड़ी एक उपलब्धि है इस सत्र में, इसपर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में सभी पार्टियों का एक होना, इसकी कड़ी आलोचना करना और इसका रिव्यू मांगना, मैं समझता हूं एक महत्वपूर्ण कदम है, हमारे लोकतंत्र को सुरक्षित रखने के लिए है।
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