कोविड-19 महामारी से अभी लोग उबरे भी नहीं थे कि मंकी पॉक्स ने डराना शुरू कर दिया है। राग सप्तम में अलापने वाले टीवी चैनलों ने लोगों को आगाह किया तो केन्द्र सरकार ने पूरी गंभीरता दिखाते हुए बंदरगाहों और हवाई अड्डडों को विदेशों से आ रहे लोगों की पूरी सख्ती के साथ स्क्रीनिंग करने की हिदायत दे दी। लेकिन सवाल तो यह उठता है कि वे स्क्रीनिंग में भला देखेंगे क्या क्योंकि मंकी पॉक्स के लक्षण स्पष्टता के साथ उभरने में तीन सप्ताह का समय लग जाता है।
Published: undefined
1958 में कोपेनहेगन में रखे गए एशियाई बंदरों में जो लक्षण उभरे, उसी को मंकी पॉक्स के नाम से जाना गया। यह वायरस प्रकृति में गिलहरी जैसे छोटे जानवरों में जीवित रहता है। मंकी पॉक्स वायरस चेचक के वायरस वाले परिवार से संबंधित है। इसे अच्छी किस्मत ही कह सकते हैं कि मंकी पॉक्स के लक्षण तो चेचक से मिलते हैं लेकिन यह उतना घातक नहीं। यह कम असर वाला और मुख्यतः क्षेत्र विशेष में ही सक्रिय रहने वाला वायरस है। इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि अफ्रीकी महाद्वीप में मंकी पॉक्स से पीड़ितों की मृत्यु दर 0-10% के बीच होती है जबकि अफ्रीका से बाहर आते ही यह शून्य की ओर बढ़ने लगती है। शायद इसकी वजह बेहतर पोषण और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच है। इसके लक्षण बुखार, मांसपेशियों में दर्द, ग्लैंड्स में सूजन और चकते हैं जो ते चिकन पॉक्स से कुछ अलग होते हैं। मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण अंतरंग संपर्क से होता है और यह सांसों के जरिये फैलता है। यह संक्रमण 2-4 सप्ताह तक रहता है। इसके विपरीत चेचक में मृत्यु दर 30% से अधिक हुआ करती थी।
Published: undefined
1970 के दशक में चेचक के उन्मूलन के बाद अफ्रीकी महाद्वीप में मंकी पॉक्स के मामले सामने आने लगे। चेचक उन्मूलन अभियान के तहत निगरानी गतिविधियों के दौरान वहां विभिन्न इलाकों में मंकी पॉक्स के मामले सामने आए। 1980 के दशक में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कांगो में सीरोलॉजिकल और वायरोलॉजिकल अध्ययन किए। कुछ ही बंदरों में इसके एंटीबॉडी पाए गए। गैम्बियन चूहों और हाथी में इनके एंटीबॉडी मिले। मनुष्यों में हुए तीन-चौथाई मामले जानवरों से संपर्क में आने वाले बच्चों के थे। अफ्रीकी महाद्वीप में इसकी मृत्यु दर 0 से 10% तक थी जबकि कांगो स्ट्रेन की तुलना में पश्चिमी अफ्रीकी स्ट्रेन कम घातक था।
Published: undefined
2003 में अमेरिका में मंकी पॉक्स के मनुष्यों में संक्रमण का पता चला। यह संक्रमण प्रैरी कुत्तों से आया था और उन्हें यह संक्रमण अफ्रीका से लाए गए छोटे जानवरों से हुआ था। अफ्रीकी महाद्वीप के बाहर मंकी पॉक्स का अब तक का सबसे बड़ा प्रकोप मई, 2022 में शुरू हुआ। जुलाई, 2022 के मध्य तक 35 से अधिक देशों में 8,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। लगभग 2,500 साल पहले सुन त्जू ने कहा था, ‘आत्मा की दुनिया की जानकारी अनुमानों से मिलती है, ब्रह्मांड के नियमों की परख गणितीय गणना से की जाती है लेकिन दुश्मन का स्वभाव केवल जासूसों के जरिये पता किया जा सकता है।’ हालांकि आज जासूसों के बजाय हमारे पास निगरानी का तंत्र है। यूरोपीय महाद्वीप के निगरानी डेटा से हमें हालात का अंदाजा लगाने में मदद मिलती है।
Published: undefined
ब्रिटेन समेत यूरोपीय संघ में जुलाई के पहले सप्ताह तक मंकी पॉक्स के 6,892 मामले दर्ज किए गए। सबसे ज्यादा 42 फीसदी मामले 31 से 40 वर्ष के लोगों में पाए गए और दिलचस्प बात यह है कि इनमें 99.5% पुरुष थे। इनमें लगभग 10% अस्पताल में भर्ती हुए और इनमें भी केवल 3 (0.04%) को आईसीयू में भर्ती होना पड़ा। दिलचस्प बात यह है कि 43% संक्रमित एचआईवी पॉजिटिव थे और इनमेें से लगभग आधे को पहले यौन-संबंधों से होने वाले संक्रमण हो चुके थे। इनमें किसी की मौत नहीं हुई। केवल 0.33% मामले स्वास्थ्यकर्मियों से जुड़े थे। जीनोमिक अध्ययनों से पता चलता है कि यह संक्रमण अपेक्षाकृत कम घातक पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन से हुआ था। यूके में संक्रमित लोगों के बारे में बेहतर डेटा है। वहां संक्रमण के 97% मामले समलैंगिक या उभयलिंगी पुरुषों में मिले। इनमें से 54% में अन्य यौन संचारित संक्रमणों का इतिहास रहा था और 31.8% के पिछले 3 महीनों में 10 या अधिक यौन साथी रहे थे।
Published: undefined
अफ्रीका से परे मंकी पॉक्स एक यौन संचारित संक्रमण की तरह व्यवहार कर रहा है। वहां यौन संक्रमण के साथ मंकी पॉक्स, एचआईवी का भी संक्रमण देखने को मिलता है। इसलिए, उच्च जोखिम वाले समूहों में कंडोम के उपयोग को बढ़ावा देना एक स्पष्ट प्राथमिकता जान पड़ती है। ‘दुश्मन’ ने भारत पर धावा बोल दिया है और इस आलेख के लिखे जाने तक संक्रमण के दो मामले सामने आ चुके हैं। एचआईवी की रोकथाम के अपने अनुभव के बूते हम उच्च जोखिम वाली आबादी के बीच बंदरों की निगरानी कर सकते हैं। हमें अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को और बेहतर करना चाहिए ताकि हम मौजूदा खतरों का सामना करने के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों का भी सामना कर सकें। जैसा कि यूरोप के डेटा बताते हैं, आम तौर पर स्वस्थ व्यक्तियों और स्वास्थ्य देखभाल तक बेहतर पहुंच के साथ हम लगभग शून्य मृत्यू दर की स्थिति में आ सकते हैं और यह संक्रमण कोई खतरे का सबब नहीं बनना चाहिए। मंकी पॉक्स के लिए चेचक के मॉडिफाइड टीके के इस्तेमाल की सिफारिश की जा रही है। एडवर्ड जेनर स्वर्ग से मुस्करा रहा होगा! उन्होंने स्मॉल पॉक्स के लिए वैक्सीन बनाने में इसी फैमिली के अपेक्षाकृत हल्के संक्रमण- काऊ पॉक्स- का इस्तेमाल किया था।
हमने चक्र पूरा कर लिया है। पॉक्स फैमिली के एक और हल्के संक्रमण के खिलाफ स्मॉल पॉक्स के टीके में ही आंशिक बदलाव करके वैक्सीन का इस्तेमाल कर रहे हैैं।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined