बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में अब तक 62 मौतें हो चुकी हैं। अधिकारिक तौर पर पुष्टि की गई है कि मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 54 और केजरीवाल अस्पताल में 8 मौतें एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस से हो चुकी हैं। लेकिन मोदी सरकार के मंत्री के मुताबिक इन मौतों का कारण भूखे पेट लीची खाना है।
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एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि, “इन मौतों के पीछे कई कारण है। लेकिन एक कारण यह भी है कि बच्चे भूखे पेट लीची खा लेते हैं इस वजह से उन्हें इन्सेफ्लाइटिस हो रहा है। लीची में जो बीज होता है वह शुगर को कम करता है। हालांकि इस पर पूरी रिसर्च की जा रही है।“
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उन्होंने कहा भारत सरकार और बिहार सरकार इन्सेफ्लाइटिस को लेकर पूरी तरह अलर्ट है। मुजफ्फरपुर में मरीजों के लिए बेड, एंबुलेंस और आईसीयू की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा जिन चीजों की जरूरत होगी भारत सरकार और राज्य सरकार वह भी मुहैया कराने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि, “हमने 2014 में इन्सेफ्लाइटिस पर काम किया था तब इसमें कमी देखने को मिली थी। पहले इन्सेफेलाइटिस को लेकर जागरुकता की कमी रहती थी लेकिन बिहार सरकार अब लगातार लोगों को जागरूक कर रही है। सरकार ने एक्सपर्ट्स की टीम को इन्सेफ्लाइटिस प्रभावित इलाकों में भेजा है।“
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गौरतलब है कि बिहार के कई जिलों में इन्सेफेलाइटिस का कहर जारी है। इन्सेफलाइटिस दिमाग में होने वाली एक सूजन होती है। वैसे तो इसके कई कारण होते हैं, लेकिन सबसे आम वायरल इंफेक्शन है। ज्यादातर डॉक्टर इंसेफेलाइटिस को वायरल बीमारी मानते हैं। साफ-सफाई, वैक्सिनेशन, साफ पानी पीने और मच्छरों से बचाव कर इससे बचा जा सकता है।
बिहार में इसे चमकी बुखार भी कहा जाता है। इस बीमारी की चपेट में 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे आ रहे हैं। अभी तक जितने बच्चों की मौत हुई है उनकी उम्र एक से सात साल के बीच बताई गई है। इस बीमारी का शिकार आमतौर पर गरीब परिवार के बच्चे हो रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी का मुख्य लक्षण तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर कंपन (चमकी) होना है।
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