केंद्र की मोदी सरकार और सत्ताधारी बीजेपी से लोगों का भरोसा कम हुआ है। पिछले तीन साल में कमजोर आर्थिक वृद्धि, नोटबंदी और जीएसटी के कारण डगमगाई अर्थव्यवस्था और करीब 20 हजार करोड़ के पीएनबी महाघोटाले के चलते प्रधानमंत्री मोदी की साख गिरी है। इतना ही नहीं हाल के दिनों में कठुआ और उन्नाव जैसी घटनाओं को लेकर भी लोगों, खासकर युवाओं में सरकार को लेकर नाराजगी है। इसके चलते अगले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार या बीजेपी का अपने दम पर सत्ता में वापस आने के आसार कम ही हैं।
ब्लूमबर्ग में प्रकाशित एक न्यूज रिपोर्ट में अमेरिकी फर्म मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि लोकसभा चुनाव 2019 में अभी एक साल का वक्त बचा है, लेकिन चुनाव से जुड़े पंडित अभी से ही आगामी सरकार को लेकर अटकलें लगाने लगे हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी के फिर से अपने दम पर सत्ता में आने को लेकर कयासों का दौर भी शुरू हो गया है।
मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक अगले साल हो सकता है केंद्र में गठबंधन की कमजोर सरकार बने।कंपनी की रिपोर्ट की मानें तो अगले साल कोई पार्टी अपने बूते सरकार नहीं बना पाएगी। ऐसे में बीजेपी भी अपने दम पर सरकार नहीं बना पाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र में गठबंधन की कमजोर सरकार बनने की संभावनाओं के बीच बाजार में आशा और उम्मीद रहने की संभावना बेहद कम है। अमेरिकी फर्म ने चेतावनी दी है कि 2019 में बाजार का माहौल साल 2014 के आम चुनावों से पहले जैसा नहीं रहेगा। र्मार्गन स्टैनली ने पिछले पांच आम चुनावों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। कंपनी का कहना है कि 90 के दशक के मध्य से कोई भी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव में नहीं गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले लोकसभा चुनाव के नतीजे चार बातों पर निर्भर करेंगे:
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रिपोर्ट में चुनावी नतीजों के कुछ संभावित आंकलन किए गए हैं। चार आंकलन में से तीन आंकलन संकेत देते हैं कि अगले चुनाव में कोई भी राष्ट्रीय दल अपने दम पर सरकार नहीं बना पाएगा और उसे सरकार बनाने के लिए उसे दूसरे दलों की मदद लेनी पड़ेगी। रिपोर्ट में ऐसी स्थिति में किसी भी राष्ट्रीय दल के लिए अधिकतम सीटें 180 से 220 मिलने का अनुमान लगाया गया है।
मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि बाजार का रुख अगले आम चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तरह आशावादी नहीं रहेगा। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, ‘बाजार हमेशा मौजूदा सरकार से ज्यादा मजबूत सरकार की उम्मीद के साथ चुनाव में जाता है। लेकिन, अगले साल यानी 2019 के चुनावों में यह लागू नहीं होगा, क्योंकि अगले साल मौजूदा से कमजोर सरकार बनने की संभावना है।’
वॉल स्ट्रीट की ब्रोक्रेज फर्म ने पिछले पांच आम चुनावों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। कंपनी का कहना है कि 90 के दशक के मध्य से कोई भी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव में नहीं गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी की अगुवाई वाली सरकार को 2014 में पिछले 30 वर्षों का सबसे मजबूत जनादेश मिला था, लेकिन करीब 2 अरब डॉलर के बैंक घोटाले में आरोपियों को न पकड़ पाने से लेकर हाल के दिनों की बलात्कार की दो बड़ी घटनाओं और उन पर उभरे जनाक्रोश ने उसकी साख को बट्टा लगाया है। ऐसे में मोदी सरकार और बीजेपी के सामने लोगों का विश्वास खोने और जनाधार खिसकने का खतरा है।
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