अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कमी आने के बावजूद पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं घटाने वाली मोदी सरकार को लोकसभा चुनाव करीब आते ही मंहगाई का ख्याल आने लगा है। चर्चा है कि सरकार चुनाव से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम कर सकती है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों भी कम हो गई हैं, जिससे तेल विपणन कंपनियां इसका बोझ उठाने में सक्षम होंगी।
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सूत्रों के अनुसार, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने दोनों ईंधनों में 4 रुपये से 10 रुपये प्रति लीटर तक की कीमतों में कटौती और तेल कंपनियों पर इसके प्रभाव पर विभिन्न संयोजनों और क्रम परिवर्तन पर काम किया है। सरकार पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती पर भी विचार कर रही है, ताकि कीमत में कटौती का पूरा बोझ तेल सार्वजनिक उपक्रमों- इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम पर न पड़े।
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सूत्रों ने बताया कि पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती पर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री के स्तर पर लिया जाएगा। आखिरी बार पेट्रोल और डीजल की कीमत पिछले साल मई में कम हुई थी जब वित्त मंत्रालय ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 6 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी।
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वैश्विक बाजार में भी कच्चे तेल की कीमतें गिर रही हैं। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का भाव 77 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रहा था। यह पहले के महीनों में 85 से 90 डॉलर की रेंज से कम है, इससे ईंधन की कीमतों में कटौती करना आसान हो गया है। इस बीच, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संभावित कटौती की खबरों के बीच शुक्रवार के कारोबार में इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के शेयर 4 फीसदी तक टूट गए।
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