पूरे देश में कोरोना वायरस खतरनाक रूप ले चुका है। हर जगह से मामलों के बढ़ने की ही खबर है, लेकिन इस बीच सरकार ने अजीबोगरीब फैसला लेते हुए मास्क और सैनेटाइजर को आवश्यक वस्तु कानून से बाहर कर दिया है। इस वजह से एक बार फिर कोरोना वायरस से बचाव के सबसे कारगर हथियार यानि मास्क और सैनेटाइजर के लिए लोगों से मनमाना वसूली शुरू हो सकती है।
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इससे पहले देश में कोरोना के मामले बढ़ने पर मास्क और सैनेटाइजर की मनमाने कीमत पर बिक्री की खबरों पर सरकार ने इन्हें आवश्यक वस्तु अधिनियम में शामिल करने का फैसला किया था। केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 की सूची में संशोधन कर सर्जिकल फेस मास्क, एन 95 मास्क और हैंड सैनिटाइजर को 30 जून तक आवश्यक वस्तु घोषित किया है। इससे इनकी उपलब्धता बढ़ेगी और कालाबाजारी रूकेगी।
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दरअसल आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 की अनुसूची में आवश्यक वस्तु घोषित चीजों की जमाखोरी या अधिक दाम पर बेचने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। आवश्यक वस्तु अधिनियम का उल्लंघन करने वालों को सात साल तक की जेल की सजा के साथ भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। ऐसे में इस कानून में शामिल वस्तुओं की कालाबाजारी की संभावना काफी कम हो जाती है।
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फिलहाल सरकार ने फैसला ले लिया है, लेकिन ये फैसला किसी की समझ में नहीं आ रहा है। कोरोना संकट के शुरुआती दौर में तो सरकार ने इनकी आवश्यकता समझते हुए इन्हें आवश्यक वस्तु की लिस्ट में शामिल किया था, ताकि मनमाना वसूली रोकी जा सके। लेकिन अब जब देश में कोरोना वायरस के मामले सारे रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और संक्रमण के मामले में भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच गया है, तो अभी तो मास्क और हैंड सैनेटाइजर जैसे उपायों की लोगों को पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।
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