इस महीने की शुरुआत में पेश केंद्रीय बजट में मोदी सरकार द्वारा मध्य प्रदेश के हिस्से की राशि में 14 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कटौती को लेकर राज्य की सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। बता दें कि मोदी सरकार ने 1 फरवरी 2020 को पेश केंद्रीय बजट में मध्य प्रदेश को 49,517 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, जो 2019 में पेश बजट में राज्य को किए गए 63,750 करोड़ रुपये से 14,233 करोड़ रुपये कम है।
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केंद्र सरकार से राज्य को मिलने वाले हिस्से में की गई इस बड़ी कटौती का राज्य में संचालित कई योजनाओं पर असर पड़ रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार प्रवर्तित योजनाओं के लिए राशि कम पड़ रही है। इस कटौती के लिए प्रदेश में सत्तापक्ष और विपक्ष एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
मध्य प्रदेश के वित्तमंत्री तरुण भनोट ने कहा कि केंद्र में बीजेपी नीत सरकार आने के बाद से निरंतर राज्यों के साथ अन्याय हो रहा है। साल 2014 के पहले यूपीए सरकार के समय जब डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब केंद्र की विभिन्न योजनाओं के खर्च में केंद्र का अंश 75 प्रतिशत और राज्यों की 25 प्रतिशत की हिस्सेदारी होती थी, लेकिन जबसे केंद्र में मोदी सरकार आई है, तब से केंद्रीय योजनाओं में राज्यों की हिस्सेदारी में 60 से 100 प्रतिशत की वृद्धि कर दी गई है।
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इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने केंद्र सरकार द्वारा की गई कटौती के लिए राज्य सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार केंद्र की योजनाओं के पैसे का न तो उपयोग कर रही है और न ही उपयोगिता प्रमाणपत्र दे रही है। केंद्र की कोई भी योजना हो, उसका पैसा ऑन डिमांड उपलब्ध है, लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार योजनाओं का काम ही आगे नहीं बढ़ा रही है। उन्होंने सीएम कमलनाथ पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र हर कदम पर मध्यप्रदेश के लोगों के साथ खड़ा है और मौजूदा बजट में भी प्रदेश के किसानों के लिए, सिंचाई सुविधाओं के लिए, नेशनल हाइवे और एयरपोर्ट के विकास के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं।
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वहीं राज्य के वित्तमंत्री भनोट ने जयंत सिन्हा पर गलतबयानी का आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार ने पुनरीक्षित बजट अनुमान में मध्यप्रदेश को मिलने वाली राशि में 14,233 करोड़ रुपये की कटौती की है। साल 2019 के फरवरी माह में जारी बजट अनुमान और 2020 के पुनरीक्षित अनुमान के दोनों दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो जाता है कि केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश के हिस्से की राशि में भारी कटौती की है। भनोट ने राज्यों के अंशदान को बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा इससे मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य सरकार भी वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं।
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