देश पर जारी कोरोना संकट के बीच केंद्र सरकार ने इस महामारी के इलाज को लेकर एक बड़ा झटका दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को स्पष्ट करते हुए कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण का प्लाज्मा थेरेपी के जरिये कोई इलाज नहीं है। स्वास्थ मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने इंडियन मेडिकल काउंसिल एंड रिसर्च (आईसीएमआर) का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई इस थेरेपी से कोरोना के इलाज का दावा करता है तो यह गैर-कानूनी होगा।
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लव अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि प्लाज्मा थैरेपी के जरिये कोरोना मरीजों को ठीक किया जा सकता है। आईसीएमआर ने इस पर अध्ययन शुरू कर दिया है। लेकिन अभी इसको लेकर किसी तरह का दावा नहीं किया जाना चाहिए। अभी केवल इस पर ट्रायल और रिसर्च ही किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें आईसीएमआर के गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया तो इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में कोरोना मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज शुरू कर दिया गया है। पिछले कई दिनों से कोरोना के ठीक हो चुके मरीजों का प्लाज्मा लेकर दूसरे संक्रमित का इलाज जारी है। कई ठीक हो चुके मरीजों से सरकारों और अस्पतालों ने दूसरों के इलाज के लिए अपना प्लाजमा देने की भी अपील की है। लेकिन अब जागी केंद्र सरकार ने अब जाकर स्पष्ट किया है कि प्लाजमा थेरेपी से कोरोना का इलाज संभव नहीं है।
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इस दौरान लव अग्रवाल ने बताया कि देश में कोरोना संक्रमित मरीजों की रिकवरी रेट बढ़कर 23.3% हो गई है। उन्होंने बताया कि ठीक होने की दर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो एक अच्छी बात है। उन्होंने बताया कि अभी तक देश में कोरोना संक्रमण के कुल 29435 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 21632 फिलहाल एक्टिव केस हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक दिन में देश में 684 लोगों को सही किया गया है। देश में संक्रमण फैलने की रफ्तार भी कम हुई है। 17 जिलों में पिछले 28 दिनों में कोई केस नहीं आया है।
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इस दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने भारत और कोरोना प्रभावित दुनिया के 20 देशों की एक तुलनात्मक रिपोर्ट भी पेश की। इसमें कोरोना से गंभीर रुप से प्रबावित हुए चीन, इटली, अमेरिका, ईरान, यूके जैसे देश शामिल हैं। मंत्रालय ने बताया कि इन देशों की तुलना में कोरोना महामारी के मामले में भारत की स्थिति काफी बेहतर है। इन देशों में जहां भारत से 84 गुना अधिक केस रिपोर्ट हुए, वहीं इन देशों में मौत भी भारत की तुलना में 200 गुना ज्यादा हुईं।
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