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एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी मोदी सरकार, विनिवेश को दी मंजूरी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एयर इंडिया के विनिवेश पर कहा कि जब सरकारों के पास पैसा नहीं होता तो वह यही करती हैं। भारत सरकार के पास पैसा नहीं है। विकास दर 5 फीसदी के नीचे है। मनरेगा मजदूरों का लाखों रुपये का बकाया है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

केंद्र की मोदी सरकरार ने एयर इंडिया में अनपी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी है। जो कंपनियां इसकी हिस्सेदारी खरीदना चाहती हैं, उन्हें 17 मार्च तक अपने दस्तावेज जमा करने होंगे। केंद्र सरकार की ओर से जारी दस्तावेज के अनुसार, 'रणनीतिक विनिवेश' के तहत एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस के भी 100 प्रतिशत और AISATS के 50 प्रतिशत हिस्सा बेचेगी। इसके साथ ही प्रबंधन नियंत्रण का अधिकार भी सफल बोली लगाने वाले के हिस्से में चला जाएगा। सरकार इस विनिवेश में बोली प्रक्रिया का इस्तेमाल करेगी।

Published: 27 Jan 2020, 10:10 AM IST

हाल ही में एयर इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) अश्विनी लोहानी का इस संबंध में बयान आया था। उन्होंने कहा था कि कंपनी के बंद होने को लेकर अफवाहें पूरी तरह आधारहीन हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया उड़ान भरती रहेगी और परिचालन का विस्तार भी करेगी। सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश का फैसला किया हुआ है

Published: 27 Jan 2020, 10:10 AM IST

इससे पहले एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के ड्राफ्ट को जीओएम की बैठक में मंजूरी दी गई थी। इस महीने के आखिर तक इसे जारी करने की बात भी सामने आई थी। बैठक में नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि जल्द इसपर बयान जारी किया जाएगा। इससे पहले भी नागरिक उड्डयन मंत्री एयर इंडिया के निजीकरण की बात कह चुके थे। उन्होंने कहा था कि एयर इंडिया का कर्ज बढ़ता जा रहा है। ऐसे में इसे अब जारी नहीं रखा जा सकता है।

Published: 27 Jan 2020, 10:10 AM IST

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने एयर इंडिया के विनिवेश पर कहा, “जब सरकारों के पास पैसा नहीं होता तो वह यही करती हैं। भारत सरकार के पास पैसा नहीं है। विकास दर 5 फीसदी के नीचे है। मनरेगा में काम करने वालों का लाखों रुपये बकाया है। अब सरकार यही करेगी। हमारे पास जो कीमती चीजें हैं, उसे बेच देगी।”

Published: 27 Jan 2020, 10:10 AM IST

देश की अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खस्ता है। एक-एक करके सरकारी कंपनियां डूबती चली जा रही हैं। इससे पहले 22 जनवरी को मोदी सरकार ने हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड को बंद करने की मंजूरी दे दी थी। एचएफएल पिछले करीब 6 सालों से लगातार घाटे में चल रही थी। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया था कि सीसीईए ने केमिकल्स एंड पेट्रोकेमिकल्स विभाग के अंतर्गत काम करने वाली कंपनी एचएफएल को बंद करने को अपनी मंजूरी दे दी है। विज्ञप्ति के अनुसार, कैबिनेट ने एचएफएल को बंद करने से जुड़ी जवाबदेहियों के निपटारे के लिए ब्याज रहित लोन के रूप में 77.20 करोड़ रुपये की सहायता राशि उपलब्ध कराने का भी फैसला किया है।

Published: 27 Jan 2020, 10:10 AM IST

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Published: 27 Jan 2020, 10:10 AM IST