मोदी सरकार सरकारी कंपनियों की संपत्ति बेचने की तैयारी में है। अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार विनिवेश की गति पर जोर दे रही है। इसके लिए सरकार ने 29 कंपनियों की लिस्ट तैयार की है। इन कंपनियों की हिस्सेदारी को निजी कंपनियों के हाथों बेचकर पैसा जुटाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के तहत रणनीतिक विनिवेश और सरकारी जमीनों को बेचकर सरकार एक लाख करोड़ रुपये जुटाएगी।
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इंडियन एक्सप्रेस को डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट पब्लिक असेट्स मैनेजमेंट के सचिव अतनु चक्रवर्ती ने बताया कि सरकार रणनीतिक बिक्री के साथ ही अगले सप्ताह बिक्री के लिए तीन नए प्रस्ताव पेश कर सकती है। बता दें कि मोदी सरकार लंबे समय से कर्ज में डूबी हुई इन कंपनियों के विनिवेश की कोशिश कर रही है। हालांकि मनमाफिक खरीदार अभी तक नहीं मिले हैं।
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अतनु चक्रवर्ती ने आगे कहा कि रणनीतिक निवेश के तहत कई चरणों में सरकार काम करेगी। एयर इंडिया के बिक्री की घोषणा पहले ही हो चुकी है। अगले सप्ताह इस तरह की तीन बिक्री संबंधी प्रस्ताव पेश किए जाएंगे। चक्रवर्ती ने आगे बताया कि सरकार कुछ जमीनों की बिक्री का प्रस्ताव पेश कर बाजार की प्रतिक्रिया देखेगी। इसके बाद इस प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
मोदी सरकार हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड, सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, फेरा स्क्रैप निगम लिमिटेड, भारतीय सीमेंट निगम लिमिटेड, एनएमडीसी का नगरनार स्टील प्लांट, सेल का सेलम स्टील प्लांट, सेल की भद्रावती यूनिट्स, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, कामराजार पोर्ट लिमिटेड कंपनियों को बेचना चाहती है।
इसके अलावा मोदी सरकार ने प्रोजेक्ट एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड, राष्ट्रीय परियोजना निर्माण निगम, हिंदुस्तान प्रीफैब लिमिटेड, हॉस्पिटल सर्विसेज कंसल्टेंसी लिमिटेड, पवन हंस लिमिटेड, इंजीनियरिंग पोजेक्ट लिमिटेड, ब्रिज एंड रूफ कंपनी इंडिया लिमिटेड, अलॉय स्टील प्लांट, स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट लिमिटेड (सहायक), भारत पंप और कंप्रेशर्स लिमिटेड के विनिवेश को मंजूरी दे दी है।
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मोदी सरकार ने आम बजट 2019 में 1.05 लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य रखा है। अंतरिम बजट में विनिवेश के जरिये 90 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। इस तरह सरकार ने अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य में बढ़ोतरी की है।
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मोदी सरकार मे 2019-20 के पहले दो महीने में 2357.10 करोड़ रुपये जुटाए हैं। वहीं साल 2018-19 में सरकार ने विनिवेश के जरिये 84972.16 करोड़ रुपये जुटाए थे। हालांकि, 2018-19 में 80 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
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बता दें कि विनिवेश प्रक्रिया निवेश का उल्टा होता है। विनिवेश का मतलब उस रकम को वापस निकालना होता है जो सरकार ने किसी कारोबार, संस्था या किसी परियोजना में लगाया हुआ है। घाटे में चल रही कंपनियों को किसी के हाथ बेचकर ऐसा होता है।
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