हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी समूह चौतरफ मुश्किल घिरा हुआ है। एक तरफ उसके शेयर बुरी तरफ गिरते चले जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इस मुद्दे को संसद में लगातार उठा रहा है और केंद्र की मोदी सरकार को घेर रहा है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की एकजुटता की वजह से संसद के बजट सत्र के पहले चरण में अभी तक राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा तक नहीं शुरू हो पाई है।
विपक्ष हिंडनबर्ग और अडानी समूह की जांच के लिए जेपीसी की मांग पर अड़ा हुआ है और दोनों सदनों में हंगामे की वजह से बजट सत्र के पहले हफ्ते में कोई कामकाज नहीं हो पाया है। इस बार बजट सत्र की शुरूआत 31 जनवरी को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण से हुई थी। उसी दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया था। अगले दिन यानी 1 फरवरी को वित्त मंत्री ने सदन में बजट पेश किया था।
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संसदीय परंपरा के अनुसार, बजट पेश करने के अगले दिन यानी 2 फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो जानी चाहिए थी, लेकिन दो और तीन फरवरी, दोनों दिन विपक्षी हंगामे की वजह से ऐसा हो नहीं पाया।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या अगले हफ्ते भी सदन में कोई कामकाज हो पायेगा? क्या सोमवार को सुबह 11 बजे भी दोनों सदनों में हंगामा ही देखने को मिलेगा? क्या जेपीसी की मांग को लेकर सरकार और विपक्ष में जारी गतिरोध जारी रहेगा या समाधान का कोई रास्ता निकल पाएगा?
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फिलहाल तो विपक्षी दल, जेपीसी की मांग से पीछे हटने को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं, वहीं सरकार की तरफ से भी यह साफ किया जा चुका है कि सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है। विपक्ष बिना किसी मतलब के इसपर हंगामा कर रहा है, क्योंकि वह सदन में चर्चा करना ही नहीं चाहता है। सरकार की तरफ से यह भी तर्क दिया जा रहा है कि एसबीआई और एलआईसी पूरी तरह सुरक्षित हैं।
कांग्रेस की तरफ से इस बार जहां विपक्षी दलों को एकजुट करने और बनाए रखने का जिम्मा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संभाल रहे हैं। विपक्ष की मांग को अनसुना करते हुए बीजेपी की तरफ से यह कहा जा रहा है कि देश में पहली बार राष्ट्रपति बनी एक आदिवासी महिला ने अपना पहला अभिभाषण दिया है और विपक्ष इस पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा से भाग रहा है।
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सरकार अपने स्टैंड से बिल्कुल भी पीछे हटने को तैयार नहीं है, लेकिन उसका यह भी मानना है कि सोमवार तक समाधान का कोई रास्ता निकल सकता है, ताकि सदन में चर्चा शुरू हो सके। हालांकि अभी तक इसे लेकर विपक्षी दलों की तरफ से कोई संकेत नहीं मिले हैं।
यह तय माना जा रहा है कि अगले हफ्ते सोमवार को संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले सरकार और विपक्ष दोनों ही अलग-अलग बैठकर अपनी-अपनी रणनीति तैयार करेंगे और उसके बाद ही यह साफ हो पाएगा कि सोमवार को सदन चल पाएगा या नहीं?
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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