प्रधानमंत्री ने एक बार फिर मोनोलॉग ही किया, यानी अपने मन की बात कही और चल दिए। मौका था वाराणसी सीट से उनके नामांकन का और स्थान था बनारस कलेक्ट्रेट। हालांकि चर्चा थी कि पीएम प्रेस कांफ्रेंस करेंगे, लेकिन ऐसा हो न सका। और हां, इस बीच पीएम का एक और चमकता-दमकता इंटरव्यू सामने आया, जिसमें कुछ नया तो नहीं दिखा, अलबत्ता यह जरूर पता चल गया कि कोई है जो पीएम का राजदार है।
शुक्रवार का दिन इस बारे के लोकसभा चुनाव के लिए और खबरिया चैनलों के लिए काफी अहम था। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी सीट से परचा भरने वाले थे। इसके साथ ही खबर गर्म थी कि पीएम पर्चा भरके प्रेस कांफ्रेंस तो करेंगे ही करेंगे।
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जब से पीएम मोदी ने सत्ता संभाली है, एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की है, इसलिए माहौल काफी गहमागहमी वाला था। लेकिन पीएम ने परचा भरा, कलेक्ट्रेट से बाहर कैमरे-माइक लेकर खड़ी पत्रकारों के पास आए और अपने मन की कहकर चलते बने। न किसी ने सवाल पूछा, और न कोई जवाब दिया गया।
लेकिन इसी दिन एक बड़े खबरिया चैनल की चमक-दमक और तामझाम से लबरेज पीएम का एक इंटरव्यू जरूर शाम को आया। जब चैनल ने इस इंटरव्यू के प्रोमो चलाने शुरु किए तो लगा कि कुछ तो डायलॉग होगा, आखिर तीन-तीन एंकर पीएम से सवाल पूछने वाले थे, लेकिन डायलॉग अब तक आए बाकी इंटरव्यू की तरह ही पहले से तय सवालों को पूछने और उनके सुने-सुनाए जवाबों तक ही सीमित रह गया।
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इस इंटरव्यू के दौरान पीएम ने कहा कि वे अपनी रैली में जो भी भाषण देते हैं तो उसमें किसान और रोजगार के मुद्दे पर ज्यादा और राष्ट्रवाद आदि पर कम बोलते हैं। लेकिन सवाल है कि आखिर पीएम की यह बातें कोई सुन क्यों नहीं रहा है? मेनस्ट्रीम मीडिया इन्हें ही क्यों सुर्खियां नहीं बना रहा है? क्यों अगले दिन के अखबार और उस दिन के प्राइम टाइम सिर्फ पुलवामा और बालाकोट, आतंकवाद, राष्ट्रवाद जैसी बातें क्यों दिखाते हैं?
प्रधानमंत्री ने इस इंटरव्यू में माना कि बीते पांच साल में वह यह पता ही नहीं कर पाए कि देश में कितने लोग बेरोजगार हैं। अब पीएम खुद ही मान रहे हैं कि बेरोजगारों की ही जानकारी नहीं है, तो रोजगार कहां से देंगे। वैसे यह जान लेना जरूरी है कि पिछले दिनों एनएसएसओ ने एक रिपोर्ट सामने रखी थी जिससे पता चला था कि देश में बेरोजगार की दर 45 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है। सरकार ने यह रिपोर्ट मानी नहीं, एनएसएसओ के दो अधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया। और मजे की बात यह है कि इंटरव्यू लेने वाले एंकर ने भी इस बारे में सवाल नहीं किया।
एक सवाल पूछा गया कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने का वादा था, क्या हुआ? जवाब में पीएम ने कई योजनाएं गिना दीं। लेकिन यह नहीं बताया कि पिछले आई एक रिपोर्ट में क्यों लिखा गया था कि देश में खेती से होने वाली आमदनी पिछले साल अक्टूबर महीने में 14 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। जाहिर है खेती से आमदनी कम हुई है तो खेतिहर मजदूरों की कमाई भी कम ही हुई होगी।
वैसे हर बार की तरह इस बार भी पीएम के इंटरव्यू से एक नई बात पता चली। पीएम ने बताया कि कोई है जो उनका राजदार है, जिससे वे कुछ भी नहीं छिपाते। लेकिन वह कौन है, पीएम ने यह नहीं बताया।
पुरानी फिल्म का गाना याद आ रहा है कि इशारों को अगर समझो, राज को राज रहने दो...
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