केंद्र की मोदी सरकार आपकी-हमारी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस की सारी जानकारी निजी और सरकारी एजेंसियों और संगठनों को पैसे लेकर बेच रही है। साथ ही सरकार ने नीति बनाई है कि मौजूदा वित्त वर्ष में कोई भी मोदी सरकार को 3 करोड़ रुपए देकर ये सारी जानकारियां हासिल कर सकता है। यह बात मोदी सरकार ने सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने खुद राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में मानी है।
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नितिन गडकरी ने कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई द्वारा पूछे गए सवाल संख्या 1698 के जवाब में कहा है कि, “मंत्रालय ने ‘बल्क डेटा शेयरिंग पॉलिसी एंड प्रोसीजर’ द्वारा गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित बल्क डेटा शेयर करने की नीति बनाई है। कोई भी संगठन इस डेटा को हासिल करना चाहे तो वह वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 3 करोड़ रुपए चुकाकर इसे हासिल कर सकता है।”
जवाब में यह भी बताया गया है कि नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) के जरिए सड़क परिवहन और हाइवे मंत्रालय द्वारा संचालित केंद्रीकृत राष्ट्रीय पंजीयन में 25 करोड़ गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन और करीब 15 करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस का रिकॉर्ड है।
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लिखित उत्तर में मंत्री जी ने माना कि सरकार ने वाहन और सारथी प्लेटफॉर्म यह डाटा उपलब्ध कराकर अब तक 65 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल किया है। कांग्रेस सासंद दलवाई ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार वाहन और सारथी का डाटा बल्क में बेचने की मंशा रखती है, और अगर हां, तो इस बिक्री से कितना राजस्व हासिल हुआ है। दलवई ने यह भी पूछा था कि क्या सरकार ने वाहन और सारथी प्लेटफॉर्म को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में मौजूद चोरी गई गाड़ियों के डाटा से भी लिंक किया है।
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इस सवाल के जवाब में मंत्रालय का उत्तर हां में है। साथ ही यह भी कहा है कि, शैक्षणिक संस्थाएं रिसर्च आदि उद्देश्य के लिए सिर्फ 5 लाख रुपए में यह डाटा हासिल कर सकती हैं।
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