महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में प्याज की गिरती कीमतों और किसानों की बदहाली के बाद केंद्र की मोदी सरकार की नींद टूटी है। केंद्र सरकार ने ने प्याज की गिरती कीमतों की खबरों के मद्देनजर भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) को लाल प्याज (खरीफ) की खरीद करने और देशभर के खपत केंद्रों को एक साथ भेजने की प्रक्रिया में तत्काल हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया है। कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने कहा कि नेफेड ने कार्रवाई शुरू कर दी है। 24 फरवरी को खरीद शुरू कर दी है और पिछले 10 दिनों के दौरान सीधे किसानों से 900 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर की दर पर लगभग 4000 मीट्रिक टन की खरीद की सूचना है। सरकार द्वारा पेश किए गए इन आकंड़ों के बावजूद किसानों की हालत जग जाहिर है। आलम यह है कि महाराष्ट्र और गुजरात के किसान अपने प्याजन 2 रुपये किलो बेचने को मजबूर हैं।
Published: 08 Mar 2023, 11:30 AM IST
सरकार के मुताबिक, 40 खरीद केंद्र खुले हैं, जहां किसान अपना स्टॉक बेच सकते हैं और अपना भुगतान ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। नेफेड ने खरीद केंद्रों से स्टॉक को दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी, भुवनेश्वर, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोच्चि तक ले जाने की व्यवस्था की है।
2022-23 के दौरान प्याज का अनुमानित उत्पादन लगभग 318 एलएमटी है, जो पिछले साल के 316.98 एलएमटी के उत्पादन को पार कर गया है। फरवरी में लाल प्याज की कीमतों में गिरावट देखी गई, विशेष रूप से महाराष्ट्र में जहां मॉडल दर घटकर 500-700 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। विशेषज्ञों ने इस गिरावट के लिए देश के प्रमुख उत्पादक जिले, नासिक से आपूर्ति पर निर्भरता को कम करने, अन्य राज्यों में कुल उत्पादन में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया।
Published: 08 Mar 2023, 11:30 AM IST
प्याज सभी राज्यों में बोया जाता है। हालांकि, महाराष्ट्र लगभग 43 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ प्रमुख उत्पादक है, इसके बाद मध्य प्रदेश (16 प्रतिशत), कर्नाटक और गुजरात (लगभग 9 प्रतिशत) का स्थान है। खरीफ, देर से खरीफ और रबी के दौरान फसल के मौसम की सूचना के साथ, इसे वर्ष में तीन बार काटा जाता है।
रबी की फसल सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राष्ट्रीय उत्पादन का लगभग 72-75 प्रतिशत योगदान देती है और मार्च से मई के दौरान काटा जाता है। रबी की फसल की शेल्फ लाइफ सबसे ज्यादा और स्टोर करने योग्य होती है, जबकि खरीफ और पछेती खरीफ की फसल सीधे खपत के लिए होती है न कि स्टोर करने लायक।
Published: 08 Mar 2023, 11:30 AM IST
पूरे देश में प्याज की कटाई का समय पूरे वर्ष ताजा/भंडारित प्याज की नियमित आपूर्ति प्रदान करता है। लेकिन कभी-कभी मौसम की मार के कारण या तो भंडारित प्याज खराब हो जाता है या बोया गया क्षेत्र खराब हो जाता है, जिससे आपूर्ति बाधित होती है और कीमतों में वृद्धि होती है।
इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने प्याज की खरीद और भंडारण के लिए एक बफर के रूप में मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की है, ताकि कम मौसम के दौरान आपूर्ति श्रृंखला को सुचारु रखा जा सके। इसका क्य असर होगा, आने वाला समय ही बताएगा।
Published: 08 Mar 2023, 11:30 AM IST
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Published: 08 Mar 2023, 11:30 AM IST