केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अब सरकार का निजीकरण करने का फैसला किया है। यानी अब अगर किसी को सरकार में बड़ा अफसर बनना है तो उसे आईएएस बनना जरूरी नहीं है, बल्कि निजी क्षेत्र में काम करने वाले अब सरकार में संयुक्त सचिव बन सकते हैं। सरकार के इस फैसले से अब बड़े कार्पोरेट में काम करने वाले अफसर अब सरकार का ही हिस्सा बन जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब केंद्र सरकार को निजी हाथों में सौंपने की शुरुआत कर दी है। मोदी सरकार ने नौकरशाही में शामिल होने की प्रक्रिया में बदलाव करते हुए ऐलान किया है कि अब प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले सीनियर अधिकारी भी सरकार का हिस्सा बन सकते हैं। सरकार ने इसे ‘लैटरल एंट्री’ का नाम दिया है। रविवार को इन पदों पर नियुक्ति के लिए कार्मिक मंत्रालय यानी डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग के लिए विस्तार से गाइडलाइंस के साथ अधिसूचना जारी कर दी गई।
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डीओपीटी की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक इस योजना के तहत मंत्रालयों में संयुक्त सचिव पद पर नियुक्तियां होगी। ऐसी नियुक्तियों को कांट्रैक्ट पर रखा जाएगा और इनका कार्यकाल 3 साल का होगा और अगर अच्छा प्रदर्शन हुआ तो इसे 5 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकेगा। फिलहाल इन पदों पर आवेदन के लिए अधिकतम उम्र की सीमा तय नहीं की गई है, जबकि न्यूनतम उम्र 40 साल है। ऐसे अफसरों का वेतन और सारी सुविधाएं भी केंद्र सरकार के संयुक्त वाली ही होंगी।
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गौरतलब है कि किसी भी मंत्रालय या विभाग में संयुक्त सचिव का पद काफी अहम होता है और तमाम नीतियों को अंतिम रूप देने में या उसके अमल में इनका अहम योगदान होता है। ऐसे अफसरों के चयन के लिए सिर्फ इंटरव्यू होगा और कैबिनेट सेक्रटरी के नेतृत्व में बनने वाली कमिटी इनका चयन करेगी। योग्यता के अनुसार सामान्य ग्रेजुएट और किसी सरकारी, पब्लिक सेक्टर यूनिट, यूनिवर्सिटी के अलावा किसी प्राइवेट कंपनी में 15 साल काम का अनुभव रखने वाले भी इन पदों के लिए आवेदन दे सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक शुरुआत में फिलहाल 10 मंत्रालयों में इनकी नियुक्ति होगी। इन मंत्रालयों में वित्त, आर्थिक मामले, कृषि, सड़क, जहाजरानी यानी शिपिंग, रिन्यूएबल एनर्जी, सिविल एविएशन और वाणिज्य मंत्रालय हैं।
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सरकार के इस फैसले का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है। विपक्ष ने कहा है कि यह फैसला संविधान और आरक्षण का मखौल है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार इस फैसले के जरिए संघ और बीजेपी के लोगों को मंत्रालयों में उच्च पदों पर बैठाना चाहती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पूनिया ने कहा कि यह दरअसल पिछले दरवाजे से नौकरशाही में संघ और बीजेपी के लोगों को बैठाने की साजिश है।
वहीं बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इसे आरक्षण और संविधान के खिलाफ साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रक्रिया के इतर ऐसी नियुक्तियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है। यह संघ लोकसेवा आयोग जैसी संस्था को बर्बाद करने की साजिश है। इसे पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हुए यादव ने इसके खिलाफ मोर्चा खोलने की घोषणा की है।
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