केंद्र की मोदी सरकार ने नौकरीपेशा लोगों के भविष्य के लिए जमा रकम यानी प्रॉविडेंट फंड पर मिलने वाले ब्याज को घटाने का प्रस्ताव तैयार किया है। अगर यह प्रस्ताव मान लिया जाता है तो इसका असर देश के करीब 8.5 करोड़ पीएफ खाता धारकों पर पड़ेगा।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ को जो प्रस्ताव दिया है, उसके कहा गया है कि वित्त मंत्रालय भविष्य निधि खाते में जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज में कटौती करना चाहती है। सरकार का तर्क है कि बैंकों में जो ब्याज मिलता है, उससे काफी ज्यादा ब्याज पीएफ खाते में मिलता है। इसको बैंक खातों में मिलने वाले ब्याज के समान करना होगा।
Published: 27 Jun 2019, 7:20 PM IST
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस वजह से बैंक भी कर्ज पर लगने वाली ब्याज दर को कम नहीं कर पा रहे हैं। फिलहाल ईपीएफओ 8.65 फीसदी की दर से ब्याज दे रहा है। अभी महंगाई दर तीन फीसदी के करीब है और बैंकों में बचत खाते में जो ब्याज मिलता है वो चार से लेकर छह फीसदी के बीच होता है। हालांकि फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी) यानी सावधि जमा पर बैंक छह से आठ फीसदी का ब्याज देते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों से जो कर्ज मिलता है उस पर लोगों को बचत खाते के मुकाबले ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है। बैंकों ने इसलिए फरवरी से अब तक सिर्फ 10-15 बेसिस प्वाइंट यानी सिर्फ 0.10 फीसदी से 0.15 फीसदी की कमी की है। हालांकि रिजर्व बैंक इस दौरान अपने रेपो रेट में 75 बेसिस प्वाइंट यानी करीब 0.75 फीसदी की कमी कर चुका है।
Published: 27 Jun 2019, 7:20 PM IST
इस बीच श्रम मंत्रालय ने कहा है कि वो इस मामले को लेकर वित्त मंत्रालय से बात करेगा। इससे उम्मीद है कि मामले को जल्द सुलझा लिया जाएगा।
गौरतलब है कि ईपीएफओ ने अपना बहुत सारा पैसाआईएलएंडएफएस में निवेश कर रखा है। वित्त मंत्रालय का सवाल है कि आईएलएंडएफएस फिलहाल दिवालिया होने की कगार पर है, ऐसे में क्या ईपीएफओ के पास इस साल पर्याप्त फंड है, जिससे वो मौजूदा दर पर अंशधारकों को ब्याज दे सकेगा?
Published: 27 Jun 2019, 7:20 PM IST
पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय ने श्रम सचिव को एक पत्र भेजकर यह सवाल उठाया है कि पिछले वर्षों में पीएफ ब्याज दर के भुगतान के बाद सरप्लस को केवल ईपीएफओ के अनुमानों में क्यों दिखाया है, जबकि यह वास्तव में नहीं दिखता है। साथ ही मंत्रालय ने आईएलएंडएफएस और इसके जैसे जोखिम भरे निवेश के बारे में जानकारी मांगी है। यह पत्र दोनों मंत्रालयों के बीच कई दौर की चर्चा के बाद भेजा गया है।
Published: 27 Jun 2019, 7:20 PM IST
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, हम पहले भी सरप्लस फंड को लेकर श्रम मंत्रालय के सामने सवाल उठा चुके हैं। अधिकारी का कहना है कि यदि ईपीएफओ डिफॉल्ट करता है तो ग्राहकों को भुगतान की जिम्मेदारी सरकार के पास होगी। ईपीएफओ के पास करबी 8 लाख करोड़ रुपये का फंड है।
Published: 27 Jun 2019, 7:20 PM IST
ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उनकी तमाम गणना सही है। पिछले 20 वर्षों से ज्यादा समय से ऐसे ही गणना होती रही है। जिस मेथडोलॉजी का इस्तेमाल करके ब्याज दर की गणना की जाती है वह नई नहीं है। वित्त मंत्रालय ने कुछ सवाल पूछे हैं, उनका जवाब दे दिया जाएगा।
Published: 27 Jun 2019, 7:20 PM IST
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Published: 27 Jun 2019, 7:20 PM IST