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जिंदा है राफेल सौदे में चोरी का मुद्दा- मोदी सरकार ने 41 फीसदी ज्यादा पैसा देकर खरीदे हैं 36 विमान: कांग्रेस

“राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मोदी सरकार को लग रहा था कि यह मामला दफ्न हो गया, लेकिन यह ऐसा मामला है, जो कभी दफ्न नहीं हो सकता। और अब इसमें एक नया आयाम जुड़ गया है।“ यह कहना है पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस ने नए सिरे से मोदी सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार की तरफ से न तो प्रधानमंत्री, न रक्षा मंत्री और न ही वित्त मंत्री ने इस सवाल का जवाब दिया है कि आखिर वायुसेना की जरूरत के 126 विमानों की संख्या घटाकर 36 क्यों की गई?

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि, “आखिरकार इस सवाल का जवाब एक अखबार की शानदार रिपोर्ट से सामने आ गया है।” उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के आधार पर जो तथ्य सामने आते हैं, उससे स्पष्ट हो जाता है कि राफेल सौदे की गहराई से संयुक्त संसदीय समिति द्वारा की जानी चाहिए।

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चिदंबरम ने कहा कि, मोदी सरकार ने विमानों की संख्या घटाकर देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया है। उन्होंने कहा कि, “ऐसा लगता है कि इस सौदे से सबसे ज्यादा फायदा दसॉल्ट को हुआ। सरकार ने वायुसेना की मांग से 90 विमान कम करके सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया और जो विमान खरीदे उसमें हर विमान की कीमत में 25 मिलियन यूरो की बढ़ोत्तरी कर दी। 2016 के एक्सचेंज रेट के हिसाब से 25 मिलियन यूरो करीब 186 करोड़ रुपए होते हैं।”

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनमाना फैसला कर विमानों की कीमत में 41 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी।

पी चिदंबरम ने अखबार की रिपोर्ट के आधार पर कुछ बिंदु सामने रखे:

  • 2007 में यूपीए सरकार ने सिर्फ राफेल विमान की कीमत 79.3 मिलियन यूरो तय की थी। 2011 में यह कीमत बढ़ाकर 110.85 मिलियन यूरो कर दी गई। 2016 में मोदी सरकार ने इसकी कीमत 9 फीसदी घटाकर 91.75 मिलियन यूरो कर दी।
  • इस दौरान वायुसेना ने भारत की विशेष जरूरतों के मुताबिक विमान में 13 बदलाव कराने को कहा। इस तरह 126 विमानों की कुल कीमत 1300 मिलियन यूरो होती है।
  • लेकिन दसॉल्ट ने भारत की जरूरतों के विशेष उपकरण आदि लगाने के लिए खेल कर दिया
  • यूपीए शासन में हुए तोलमोल के आधार पर उपकरण आदि के लिए जो पैसा जाना था वह 126 विमानों के लिए था। लेकिन एनडीए शासन में इसे सिर्फ 36 विमानों तक सीमित कर दिया गया।
  • अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक विमानों की खरीद प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी की गई
  • रिपोर्ट में बताया गया है कि विमानों की खरीद प्रक्रिया से जुड़े अफसरों ने इस सौदे पर एतराज़ जताया था
  • सवालहै कि आखिर इन आपत्तियों को नजरंदाज़ क्यों किया गया

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