मोदी सरकार जिस नागरिकता संशोधन कानून को अपनी उलब्धि के तौर पर देश के सामने रख रही है और दावा कर रही है कि इससे शरणार्थियों को फायदा होगा, लेकिन जब इस बारे में सवाल पूछा गया तो उसके पास कोई आंकड़ा ही नहीं है। सीपीआई सांसद बिनोय विश्वम ने राज्यसभा में सवाल पूछा था कि,
सीपीआई सांसद ने यह भी पूछा था कि इन धर्मों के अलावा और किन धर्मों के शरणार्थी देश में हैं और उनकी संख्या कितनी है। इस सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा कि इस बारे में कोई भी आंकड़े केंद्र सरकार के पास नहीं हैं। उन्होंने बताया कि शरणार्थी होने का दावा करने वाले और देश में रह रहे ऐसे लोगों के आंकड़े केंद्र सरकार व्यवस्थित नहीं करती है।
Published: undefined
सरकार ने अपने जवाब में दोहराया है कि भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और 1967 के प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है जिसमें शरणार्थियों की बात कही गई है। ऐसे में देश में आने वाले सभी विदेशी नागरिक या शरण चाहने वालों के मुद्दे पर विदेशी अधिनियम 1946, विदेशी नागरिक पंजीकरण अधिनियम 1939, पासपोर्ट अनिधियम 1920 और नागरिकता कानून 1955 के नियम लागू होते हैं।
Published: undefined
सरकार के इस जवाब से विश्वन संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा, “नागरिकता संशोधन बिल चर्चा जब से शुरु हुई है, सत्ताधारी दल के लोग धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की बात कर रहे हैं। फिर भी उनके पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है जिससे पता चले कि कितने शरणार्थी देश में हैं।” उन्होंने कहा कि, “सरकार की कोशिश है कि ये आंकड़े लोगों के सामने न आ पाएं क्योंकि इन आंकड़ों के सामने आने से उनकी विभाजनकारी नीतियों का पर्दाफाश हो जाएगा। सीएए के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और संविधान के मूल्यों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन, इस सरकार को देश के नागरिकों की कोई चिंता ही नहीं है।”
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined