18 जुलाई को शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के पहले अखिल भारतीय महिला कांग्रेस ने पीएम मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। महिला कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने विधानसभाओं और संसद में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का वचन भंग किया है। लोकसभा में पूर्ण बहुमत और कांग्रेस से समर्थन के आश्वासन के बावजूद बिल को ठंडे बस्ते में बंद कर दिया गया।
महिला कांग्रेस की नेता सुष्मिता देव ने लिखित बयान जारी कर कहा कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी मोदी सरकार नाकाम रही है। प्रधानमंत्री ने 2014 के चुनाव अभियान के लिए ‘निर्भया’ की घटना का गैर-जिम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल किया, जबकि कथुआ, उन्नाव, मंदसौर और नलिया पर उनकी चुप्पी ने अवसरवाद की उनकी राजनीति का खुलासा किया है।
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महिला कांग्रेस ने आरोप लगाया कि महिलाओं से संबंधित कानूनों और विशेष रूप से बलात्कार से संबंधित कानूनों को सख्ती से लागू करने में सरकार विफल रही है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में उतार-चढ़ाव और ईंधन की बढ़ती कीमतों को लेकर भी महिला कांग्रेस ने सरकार की आलोचना की है। संगठन ने कहा कि सरकार ने हर घरेलु महिला और उसके परिवार को गहरे संकट में डाल दिया है। गरीब सबसे ज्यादा पीड़ित हैं।
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महिला कांग्रेस ने यह भी कहा कि सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के तहत पर्याप्त धन आवंटित करने में विफल रही है। प्रत्येक जिले में आवंटित 43लाख, जो 15 वर्ष से कम आयु की प्रत्येक लड़की के लिए मात्र 5 पैसे है, जो ऊंट के मुंह में जीरे समान है। पिछली जनगणना के अनुसार 632 लाख लड़कियां 15 वर्ष से कम आयु की हैं।
संगठन ने आगे कहा कि भारत की महिलाओं के लिए तस्वीर अंधेरी और उदास है। शासन के सभी अन्य पहलुओं की तरह आखिरकार यह सिद्ध होता है कि महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा का आश्वासन भी मात्र एक जुमला था। सार्वजनिक रैलियों में पीएम के लच्छेदार भाषण और उत्तेजित बोल इस तथ्य को छिपा नहीं सकते कि बीजेपी ने सभी स्तरों पर भारतीय महिलाओं को धोखा दिया है।
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