बागपत शहर में हजारों की भीड़ ने एक युवक की लिंचिंग करने की कोशिश की और एक इंसान ने अपनी जान पर खेलकर उसकी न केवल जान बचाई बल्कि मानवता का भी कत्ल होने से बचा लिया।
यह घटना ऐसे समय हुई जब मॉब लिंचिंग को लेकर बेहद गर्म माहौल है लेकिन बागपत ने एक मिसाल कायम कर दी। बच्चा चोरी की अफवाह के बाद मुस्लिम बहुल इलाके में बहुसंख्यक समुदाय के युवक की लिंचिंग अमन पर क्या प्रभाव डाल सकती थी यह समझा जा सकता है।
Published: 23 Aug 2019, 9:29 PM IST
घटना की शुरुवात गुरुवार दोपहर 12 बजे हुई जब एक पान की दुकान के पास दो संदिग्ध युवकों को देखा गया। जिनका कोई स्थानीय परिचित नही था। इसके बाद उनके बच्चा चोर होने की अफवाह फैलने लगी। धीरे-धीरे भीड़ जुटने लगी। माहौल को भांपकर दोनों में से एक युवक भाग गया जबकि दूसरे को भीड़ पकड़कर पीटने लगी। इसके बाद पास के क्लीनक में मौजूद डॉक्टर शकील अहमद भीड़ से भिड़ गये और उन्होंने उस युवक को अपने घर मे बंद करके बाहर से ताला लगा दिया और खुद भीड़ से भिड़ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक एक घंटे के बाद पुलिस आई। तब तक भीड़ युवक को अपने कब्जे में लेने की पूरी कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पायी। इतना ही नहीं मौके पर पहुंची पुलिस से भी युवक को छीनने की कोशिश मगर वो इसमें कामयाब नही हुए।
Published: 23 Aug 2019, 9:29 PM IST
युवक की पहचान गाजियाबाद निवासी प्रवीण कुमार के तौर पर हुई हालांकि अब तक उसके मुस्लिम बहुल इलाके में आने का उद्देश्य पता नहीं लग सका है। पुलिस के अनुसार वो अभी जांच कर रहे हैं। अफवाह कैसे फैली इसकी भी जांच कर रहे हैं। घटना के चश्मदीद डॉक्टर और युवक को मॉब लिंचिंग से बचाने वाले शकील अहमद पूरा माजरा समझाते हुए बताते हैं, “उनका घर बागपत के माता रानी मौहल्ले में ही है यहां 20-25 लोगों ने एक युवक को पकड़ रखा था और कुछ उसे पीट भी रहे थे। मैं इन लड़कों के पास गया और उनसे पूछा क्या मामला है, लड़कों ने बताया कि यह बच्चा चोर है। मैंने उन्हें समझाया कि अगर यह बच्चा चोर है तो इसे पुलिस को दे देते है और पुलिस कार्रवाई करेगी। मगर लोग इस पर राजी नही हुए और खुद ही पूछताछ पर अड़ गए। इसके बाद यह संख्या लगातार बढ़ती रही। युवक ने अपना नाम प्रवीण बताया था मैं खतरे को भांप गया। मैंने युवक को जबर्दस्ती भीड़ से छुड़वाया और पास में अपने घर में बंद कर दिया।”
Published: 23 Aug 2019, 9:29 PM IST
शकील बताते हैं कि इसके लिए उन्हें अपने ही लोगों का विरोध झेलना पड़ा। भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थीं और अब यह हजारों में बदलने वाली थी। मैंने स्थानीय पुलिस इंस्पेक्टर को फोन करके मदद मांगनी चाही मगर वो फोन नह उठा सके। डायल 100 में भी बात नही हो पाई। एसपी बागपत ने जबकि तुरंत सुनवाई की और पुलिस मौके पर पहुंच गई।
शकील कहते हैं, “यह चार पुलिसकर्मी थे मगर हालात को देखकर भारी पुलिस फोर्स बुलवाई गई इसके बाद भी पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।”
शकील अहमद कहते हैं कि उनकी अब तक आलोचना हो रही है हालांकि कुछ लोग उन्हें सही भी कह रहे हैं। शकील के मुताबिक उन्होंने वही किया जो उनके जमीर ने उनसे कहा अगर भीड़ यहां उस युवक की लिंचिंग कर देती तो निश्चित तौर पर हिन्दू मुस्लिमों के विरुद्ध तनाव बढ़ जाता।
आश्चर्यजनक यह है कि घटना के बाद शकील के साहसी प्रयास के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन ने उनके सराहना नहीं की। हालांकि उन्हें बहुसंख्यक समुदाय के स्थानीय लोगों से खासी सराहना मिली। पूर्व राज्यमंत्री कुलदीप उज्जवल, अर्जुन अवार्ड विजेता सोकेन्द्र पहलवान ने भी उनकी उनकी तारीफ की।
शकील के मुताबिक उन्हें अफ़सोस है कि देश भर में कई जगह हुई लिंचिंग के दौरान किसी ने भी ऐसा नही किया अगर भीड़ के अपने चेहरों में से दो चार भी लिचिंग के विरोध में खड़े हो जाएं तो इस शर्मनाक स्थिति से बचा जा सकता है।
बागपत के पूर्व मंत्री कुलदीप उज्ज्वल के मुताबिक देश भर में हुई मॉब लिंचिंग से से यह एकदम अलग घटना थी। यहां भीड़ अल्पसंख्यक समुदाय से थी और संदिग्ध युवक बहुसंख्यक समुदाय से था। भीड़ उत्तेजित थी उनलोगों यकीन था कि यही आदमी बच्चा चोर है। वो कानून अपने हाथ में लेने को उतारू थे जिसके बाद कोई भी अनहोनी हो सकती थी, लेकिन शकील अहमद में बहादुरी का परिचय देते हुए उस युवक की जान बचाई। काश इस तरह का साहस कहीं और भी किया गया होता तो बेगुनाह लोग आज जिंदा होते।
Published: 23 Aug 2019, 9:29 PM IST
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Published: 23 Aug 2019, 9:29 PM IST