पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को सनसनीखेज दावा करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मदर टेरेसा द्वारा स्थापित संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी के सारे बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए हैं। हालांकि इस मामले पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी संस्था की ओर से बैंक खातों को फ्रीज किये जाने की बात से इनकार किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया कि सरकार ने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी (एमओसी) के बैंक खातों को फ्रीज नहीं किया है।
Published: 27 Dec 2021, 8:24 PM IST
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सोमवार शाम को एक ट्वीट में कहा, "यह सुनकर हैरानी हुई कि केंद्र ने क्रिसमस के दिन मदर टेरेसा की मिशनरीज ऑफ चैरिटी के भारत में सारे बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। इससे संस्था के 22 हजार मरीजों और कर्मचारियों के पास न तो खाना बचा और न दवा बचा है। कानून सर्वोपरि है, लेकिन मानवीय प्रयासों से भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए।"
Published: 27 Dec 2021, 8:24 PM IST
ममता के इस आरोप के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। हालांकि थोड़ी देर में संस्था की ओर से आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया गया कि उसके खातों को फ्रीज नहीं किया गया है और ना ही संस्था का एफसीआरए पंजीकरण निलंबित या रद्द् किया गया है। हालांकि, मिशनरीज ऑफ चैरिटी की ओर से सिस्टर एम प्रेमा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा संस्था के एफसीआरए के नवीनीकरण आवेदन को स्वीकार नहीं किया गया है इसलिए संस्था ने मुद्दे के समाधान तक किसी भी असुविधा से बचने के लिए अपने सभी केंद्रों को अपने खातों को ऑपरेट करने से मना किया है।
Published: 27 Dec 2021, 8:24 PM IST
ममता के दावे पर हंगामे के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया कि सरकार ने मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी (एमओसी) के बैंक खातों को फ्रीज नहीं किया है। आधिकारिक बयान में कहा गया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने गृह मंत्रालय को सूचित कियाकि मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने खुद अपने बैंक खातों को फ्रीज करने का अनुरोध भेजा था। मंत्रालय ने कहा कि मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण के आवेदन को एफसीआरए 2010 और फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन रूल्स 2011 के तहत पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करने पर 25 दिसंबर को खारिज कर दिया गया था।
Published: 27 Dec 2021, 8:24 PM IST
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में गुजरात के वडोदरा जिले में संस्था के लड़कियों के लिए धर्मार्थ घर के खिलाफ कथित जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों में मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने आरोपों के बारे में बताया कि लड़कियों को बाइबिल पढ़ने के लिए कहा जा रहा था और अन्य समुदायों के लोगों की कुछ शादियां ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार आयोजित की जा रही थीं। हालांकि, संस्थान में काम करने वाली एक नन ने आरोपों का खंडन किया था।
Published: 27 Dec 2021, 8:24 PM IST
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Published: 27 Dec 2021, 8:24 PM IST