कोरोना महामारी को रोकने के लिए लगभग पूरी दुनिया ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। तमाम देश अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार कोरोना को मात देने की कोशिश में पूरी ताकत लगाए हुए हैं। इसी के चलते कोरोना संकट में ही दुनिया के 10 करोड़ से ज्यादा बच्चों पर खसरा यानी मीजेल्स जैसी खतरनाक बीमारी का खतरा मंडराने लगा है। क्योंकि दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए टिकाकरण कार्यक्रमों को रोक दिया गया है। इनमें ज्यादातर गरीब देश हैं।
दरअसल कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत बड़ी और व्यापक है, जिसके कारण कई देशों में यह लड़ाई खसरा जैसी घातक बीमारियों के रोकथाम के लिए चलाए जाने वाले अभियानों में बाधा बन गई है। एक खबर के अनुसार मैक्सिको, नाइजीरिया और कंबोडिया जैसे करीब 24 देशों ने अपने यहां कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रीय टिकाकरण कार्यक्रमों को फिलहाल स्थगित कर दिया है या बंद करने की तैयारी में हैं, जिससे वहां के करोड़ों बच्चों पर मीजेल्स का खतरा बढ़ गया है। ये सभी देश निम्न और मध्यम आय वाले हैं।
यूनिसेफ की टीकाकरण प्रमुख डॉ. रॉबिन नंदी ने कहा है कि कोविड-19 के प्रसार को कम करने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम को थोड़े समय के लिए तो रोका जा सकता है, लेकिन लंबे समय तक नहीं। उन्होंने कहा कि अमीर देशों में तो लोग निजी क्लीनिक में टीकाकरण करवा लेते हैं, लेकिन गरीब देशों में कोरोना संकट के चलते समस्या पैदा हो गई है, जहां लोग सरकारी संस्थानों पर आश्रित हैं। कोरोना संकट में टीकाकरण कार्यक्रम को स्थगित करना उचित फैसला है, लेकिन लंबे समय तक यह हितकारी नहीं होगा।
डॉ. रॉबिन नंदी ने बताया कि वर्तमान में खसरे से लड़ रहे ब्राजील, बांग्लादेश, कांगो, दक्षिण सूडान, नाइजीरिया, यूक्रेन और कजाकिस्तान में टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ है, जबकि बोलीविया, चाड, चिली, कोलंबिया, जिबूती, डोमिनिकन गणराज्य, इथियोपिया, होंडुरास, लेबनान, नेपाल, पराग्वे, सोमालिया, दक्षिण सूडान और उज्बेकिस्तान समेत 14 देशों ने अपने टीकाकरण कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है।
उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के फैलने से पहले ही कई देश खसरा जैसी बीमारी से ग्रस्त थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2017 में खसरा के 75,85,900 केस और एक लाख 24 हजार लोगों की मौत हुई। जबकि 2018 में 97,69, 400 मामले सामने आए और 1,42,300 मौतें हुईं।उन्होंने कहा कि ऐसे देश जहां मीजेल्स का खतरा ज्यादा है, वे डब्ल्यूएचओ के निर्देशों के अनुसार अपने यहां टीकाकरण कार्यक्रमों को चला सकते हैं। इसके लिए चार्टर्ड प्लेन या जहां उपलब्ध हो अंतरराष्ट्रीय विमानों के जरिये प्रभावित इलाकों में वैक्सीन और सीरिंज की खेप पहुंचाने की योजना बनाई जा सकती है।
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