देश भर में भयावह होते कोरोना वायरस के कहर के बीच राजस्थान से जैसे-तैसे पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में अपने पैतृक गांव पहुंचे 13 प्रवासी कामगारों को स्थानीय लोगों ने गांव के साथ-साथ वहां बने क्वारंटीन सेंटर में भी प्रवेश नहीं करने दिया। इसके चलते अब ये श्रमिक पास के बेराबन जंगल में टेंट लगाकर रह रहे हैं। वन क्षेत्र में एक तम्बू में रह रहे इन लोगों के पास न तो भोजन की व्यवस्था है और न पीने के पानी की।
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ये सभी प्रवासी मजदूर कोविड-19 लॉकडॉउन लगने के चार महीने बाद राजस्थान से गांव पहुंचे हैं। जब वे बांकुरा जिले के जगदल्ला गांव में पहुंचे और दो सप्ताह तक क्वारंटीन में रहने के लिए गांव के एक स्कूल में प्रवेश करने की उन्होंने कोशिश की तो ग्रामीण नाराज हो गए। वे कोरोना संक्रमण के डर से गांव में मजदूरों के प्रवेश का विरोध कर रहे थे।
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मामले की सूचना मिलने पर पहुंची स्थानीय पुलिस और पंचायत सदस्य भी ग्रामीणों को ये समझाने में असफल रहे कि यदि मजदूर सख्ती से क्वारंटीन में रहें तो संक्रमण फैलने की संभावना नहीं होगी। घटना के बारे में एक ग्रामीण अनिकेत गोस्वामी ने कहा, "स्कूल हमारे पड़ोस में काफी करीब में है। अगर वे वहां रहते हैं और वे कोरोना पॉजिटिव हुए तो वे गांव में संक्रमण फैला सकते हैं। हम उन्हें स्कूल की इमारत में रहने की अनुमति नहीं दे सकते।"
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पुलिस और पंचायत सदस्यों की कोशिशोें के बावजूद ग्रामीणों के नहीं मानने पर फिलहाल ये भी प्रवासी मजदूर गांव के पास ही में मौजूद बेराबन जंगल में टेंट लगाकर रहे हैं। परदेस से लौटे इन मजदूरों के पास भोजना के साथ-साथ पीने का पानी तक नहीं है। भूखे-प्यासे वन क्षेत्र में रह रहे इन ग्रामीणों को समझ नहीं आ रहा कि गुजारा कैसे होगा और वह भी कब तक?
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