झारखंड के सरकारी स्कूलों में पैसे की कमी के चलते मिड-डे मील बंद होने की नौबत आ गयी है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के साढ़े चार माह गुजरने के बाद भी इस योजना के लिए राज्य को कोई राशि नहीं मिली है। राज्य के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने इसे लेकर केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि मिड-डे मील के साथ-साथ समग्र शिक्षा अभियान की राशि भी केंद्र ने जारी नहीं की है। इससे भारी परेशानी पैदा हो गई है।
उन्होंने केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी से मुलाकात कर इस मामले में निजी तौर पर पहल का आग्रह किया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार केंद्र और झारखंड सरकार के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (पैब) की बैठक में समग्र शिक्षा अभियान के लिए 900 करोड़ और मध्याह्न् भोजन योजना के लिए 630 करोड़ की स्वीकृत हुई है। नियम के मुताबिक इस राशि का 60 फीसदी केंद्र सरकार से मिलना है, जबकि राज्य सरकार अपने खजाने से 40 फीसदी राशि देगी। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार भी अपने मद की राशि तभी खर्च कर सकती है, जब केंद्र की ओर से उसके हिस्से की राशि आ जाए।
जानकार बताते हैं कि केंद्र सरकार से आम तौर पर जून महीने तक पहली किस्त की राशि आ जाती है, लेकिन अगस्त महीना भी आधा खत्म हो गया, लेकिन राशि नहीं आ सकी है।
राज्य के लगभग 41 हजार प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में 33 लाख से ज्यादा बच्चों को स्कूलों में ही दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार स्कूलों में मिड-डे-मील दिया जाना अनिवार्य है।
गौरतलब है कि स्कूलों में मिड-डे-मील के लिए सरकार चावल उपलब्ध कराती है, जबकि दाल, तेल, मसाला, सब्जी, फल, अंडा और कुकिंग कॉस्ट के लिए छात्रों की संख्या के हिसाब से राशि उपलब्ध कराती है। पहली से पांचवीं कक्षा के प्रत्येक बच्चे के लिए कुकिंग कॉस्ट के तौर पर 4.97 रुपये और कक्षा छठी से आठवीं तक के बच्चों के लिए 7.45 रुपये मिलते हैं। राज्य में अप्रैल से जून तक के लिए इस मद में राशि उपलब्ध करायी गयी थी। जुलाई से इस मद में स्कूलों को कोई पैसा नहीं मिला है।
आलम यह है कि स्कूलों की प्रबंध समितियां और शिक्षक दुकानों से उधार लेकर पिछले दो महीने से मिड-डे-मील उपलब्ध करा रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने फंड उपलब्ध नहीं कराया तो दुकानदार राशन देना बंद कर देंगे और ऐसी स्थिति में वितरण बंद हो सकता है।
झारखंड सरकार ने मिड-डे-मील में बच्चों को हफ्ते में पांच दिन अंडा या फल देना अनिवार्य किया है और इसके लिए सालाना लगभग 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट तय किया गया है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से मिड-डे-मील की राशि नहीं मिल पाने की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। राज्य के शिक्षा सचिव राजेश शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मिड-डे-मील के लिए करीब 650-700 करोड़ रूपए की उपलब्ध करायी जाती है, जो अब तक अप्राप्त है।
इधर समग्र शिक्षा अभियान की राशि केंद्र की ओर से नहीं आने से कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। स्कूली बच्चों के बीच पोशाक का वितरण नहीं हो पा रहा है। शिक्षा विभाग ने पोशाक के लिए अलॉटमेंट तो कर दिया, लेकिन राशि नहीं होने से इसका भुगतान नहीं हो पा रहा है।
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