दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती कॉलेज की एक छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोपों में कॉलेजी की आंतरिक जांच समिति द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा आरोपी प्रोफेसर अमित कुमार पर कार्रवाई में देरी से कॉलेज की छात्राओं में सख्त नाराजगी के साथ ही भय देखा जा रहा है। हालांकि इस मामले को लेकर भारती कॉलेज की छात्राएं विश्वविद्यालय प्रशासन से दो-दो हाथ करने को तैयार नजर आ रही हैं। जांच समिति ने अगस्त में ही सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में आरोपी प्रोफेसर को दोषी पाया था।
फरवरी 2018 में विश्वविद्यालय प्रशासन से कॉलेज के तृतीय वर्ष की एक छात्रा ने आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ उसे आपत्तिजनक मैसेज भेजने की शिकायत की थी। कुलपति को भेजे अपने पत्र में छात्रा ने प्रोफेसर पर आपत्तिजनक मैसेज भेजने और फोन कर आपत्तिजनक बातें करने का आरोप लगाया था। छात्रा ने अपनी शिकायत के साथ एक वीडियो भी जमा कराया है जिसमें वह आरोपी प्रोफेसर को झाड़ती नजर आ रही है।
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पीड़ित छात्रा ने बताया कि उसने शिकायत नहीं दर्ज करायी थी, क्योंकि आरोपी यह कहते हुए गिड़गिड़ाने लगा था कि उसकी शिकायत उसका करियर तबाह कर देगी। यह घटना पिछले साल हुई थी, जिसके बाद दर्ज शिकायत के बाद आरोपी प्रोफेसर को छुट्टी पर भेज दिया गया था। इसके बाद कॉलेज की तीन अन्य छात्राओं ने अमित कुमार के यौन हिंसक व्यवहार की ओर इशारा करते हुए सबूत के साथ कॉलेज प्रशासन से शिकायत की थी। आरोपों के अनुसार राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर अमित कुमार व्हाट्सएप पर लड़कियों से गले लगाने और चुंबन देने की मांग करते थे और अनुचित समय में फोन किया करते थे।
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आंतरिक जांच समिति की सिफारिश पर कॉलेज गवर्निंग बॉडी द्वारा आरोपी के खिलाफ कार्रवाई में देरी पर पिछले सप्ताह कॉलेज की करीब 200 छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया। कॉलेज द्वारा राखी जैन की अध्यक्षता में गठित 10 सदस्यीय आंतरिक जांच समिति में 3 छात्र प्रतिनिधि और एक बाहरी सदस्य को भी रखा गया था।
जांच समिति ने पाया कि आरएसएस समर्थित नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के सदस्य अमित कुमार ने अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को पूरा करने के लिए कमजोर युवा लड़कियों को निशाना बनाने में अपने पद और ताकत का उपयोग किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "समिति को एक बात और खतरनाक ये लगी कि आरोपी अमित कुमार को ना सिर्फ अपने आचरण के लिए कोई पछतावा है, बल्कि शिकायतकर्ताओं पर उसे गलत समझने का आरोप लगाकर वह अपनी हरकतों को भी सही ठहराने में कोई संकोच नहीं करता है। ऐसे में अपनी हरकत के लिए किसी पछतावे के अभाव में उसमें सुधार की संभावनाएं मौजूद नहीं हैं।" समिति ने सर्वसम्मति से आरोपी को अनिवार्य सेवानिवृतित करने के साथ ही उसे प्रत्येक शिकायतकर्ता को 10,000 रुपये बतौर मुआवजा देने के लिए भी कहा था। समिति ने अपनी जांच क निष्कर्ष में साफ शब्दों में कहा था कि आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ चारों शिकायतें सही पाई गईं, इसलिए उसे दुर्व्यवहार के लिए दोषी पाया जाता है।
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बताया जा रहा है कि इसी बीच अमित कुमार ने कॉलेज के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर कर दी, जिसकी वजह से उसके खिलाफ कार्रवाई में देरी हुई। हालांकि उसकी तीनों याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। इस मामले पर कॉलेज की प्रिंसिपल मुक्ति सांन्याल का कहना है, “हम आंतरिक जांच समिति की सिफारिशों को लागू करने पर लगातार काम कर रहे हैं। हम एक कॉलेज होने के नाते नियमों से बंधे हैं। इस मामले में कॉलेज की गवर्निंग बॉडी का रवैया सहयोगपूर्ण रहा है। अजय गौड़ की अध्यक्षता वाली कॉलेज की गवर्निंग बॉडी ने आरोपी प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसका जवाब अब तक नही मिला है। गवर्निंग बॉडी ने कहा कि अगर उसे आरोपी का जवाब नहीं मिलता तो इस मामले में एक पक्षीय फैसला लिया जाएगा।
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प्रक्रिया के तहत प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई का फैसला लेने के बाद गवर्निंग बॉडी को उस पर अनुमोदन के लिए वीसी को एक रिपोर्ट भेजती है। हालांकि इस मामले में गवर्निंग बॉडी द्वारा पांच महीने पहले अंतरिम उपाय के तहत आरोपी के निलंबन की सिफारिश को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति योगेश त्यागी विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए लटकाए हुए हैं। यही नहीं वह जांच समिति से कागजात और मामले से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां भी मांग रहे हैं। नियमों के अनुसार आंतरिक जांच समिति से ऐसी जानकारियां मांगना अवैध है।
यह पूछने पर कि क्या कुलपति आरोपी को हटाने को टाल रहे हैं, तो मुक्ति सांन्याल ने कहा, “मैं ये नहीं कहूंगी कि वह रुकावट नहीं डाल रेह हैं। मैं किसी को भी परेशान नहीं करना चाहती, लेकिन हम चाहते हैं कि यह इस तरह हो जिससे लड़कियों को न्याय मिले। हम एक हफ्ते में इस मामले को पूरा करने की उम्मीद कर रहे हैं।”
इससे पहले अमित कुमार श्यामलाल कॉलेज में पढ़ाता था और सूत्रों के मुताबिक उसने कथित तौर पर वहां भी एक छात्रा का यौन शोषण करने की कोशिश की थी। इस घटना की वजह से उसे वहां से इस्तीफा देकर भारती कॉलेज में ज्वाइन करना पड़ था। अमित कुमार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का छात्र रहा है।
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गौरतलब है कि कि कुलपति योगेश त्यागी पर केंद्र के आदेश पर काम करने के आरोप लग चुके हैं। उन्होंने मोदी के प्रमाण पत्र के मामले में एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करने से इनकार कर दिया था और पीएम की डिग्री भी जारी करने से इंकार कर दिया था। वह पिछले साल से डीयू की गवर्निंग बॉडी का गठन नहीं करने की कोशिश कर रहे हैं। आरोपों के अनुसार डीयू के एक स्वायत्त संस्था होने के बावजूद बीजेपी त्यागी पर दबाव डालकर पार्टी नेताओं की इच्छा के अनुसार विश्वविद्यालय की गवर्निंग बॉडी का गठन करना चाहती है। गवर्निंग बॉडी एक कॉलेज के कार्यों की निगरानी करती है।
इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए किये गए फोन और ईमेल का कुलपति योगेश त्यागी ने कोई जवाब नहीं दिया है। कुलपति त्यागी की तरफ से कोई जवाब आने पर खबर को अपडेट किया जाएगा।
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