लखनऊ की आरटीआई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर की अर्जी के जवाब में विदेश मंत्रालय ने इस सूचना को देने से यह कहते हुए इनकार किया है कि इस बारे में सूचना आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8(1) के तहत नहीं दी जा सकती। नूतन ठाकुर ने अपनी अर्जी में विदेश मंत्रालय से कार्यक्रम से संबंधित विभिन्न मंत्रालयों के बीच हुए पत्राचार और फाइल नोटिंग की जानकारी मांगी थी।
यहां गौरतलब है कि आरटीआई एक्ट की धारा 8(1) कहती है कि अगर कोई सूचना ऐसी है जिसके सार्वजनिक होने से देश की संप्रभुता, सुरक्षा, सामरिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों के अलावा अगर दूसरे देशों के साथ भारत के रिश्तों पर आंच आती हो तो, मंत्रालय ऐसी सूचना देने को बाध्य नहीं है। साथ ही अगर किसी सूचना से संसद के विशेषाधिकार का उल्लंघन होता है, अगर किसी अदालत ने ऐसी सूचना पर रोक लगाई है या वाणिज्यिक विश्वास पर आंच आती हो, तो भी ऐसी सूचना नहीं दी जा सकती।
यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसी कौन सी सूचना थी जिसके सार्वजनिक होने से देश के किसी हित पर आंच आ सकती थी, क्योंकि ह्यूस्टन का कार्यक्रम तो कार्पोरेट द्वारा प्रायोजित था।
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दरअसल नूतन ठाकुर ने अपनी आरटीआई अर्जी में विदेश मंत्रालय की अधिकृत फाइल की कॉपी के साथ ही उस पर की गई टिप्पणियों की प्रति भी मांगी थी। पूर्व आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने सूचना के अधिकार के तहत इस कार्यक्रम के आयोजकों की भी जानकारी मांगी थी।
इसके जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह कार्यक्रम ह्यूस्टन में भारत के काउंसलेट जनरल ने टेक्सास इंडिया फोरम के साथ मिलकर आयोजित किया था। क्या विदेश मंत्रालय की भी इसमें भूमिका थी, इसपर मंत्रालय ने कहा है कि, “इस कार्यक्रम को टेक्सास इंडिया फोरम ने काउंसलेट जनरल के साथ मिलकर वहां रह रहे भारतीयों की भागीदारी के लिए आयोदित किया था।”
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को हुए इस कार्यक्रम में करीब 50,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप समेत कई अमेरिकी सांसदों ने भी इसमें शिरकत की थी।
बीजेपी समर्थकों ने इस कार्यक्रम को बेहद कामयाब करार देते हुए भारत-अमेरिका रिश्तों में इसे मील का पत्थर कहा है। वहीं आलोचकों ने इस तामझाम वाले कार्यक्रम की निंदा करते हुए कहा है कि इससे विदेशों में भारत के हितों की रक्षा की दिशा में कोई पहल नहीं की गई।
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