उत्तर प्रदेश में मायावती की पार्टी बीएसपी दोराहे पर खड़ी है। पार्टी के सात विधायकों ने बगावत करते हुए पाला बदल लिया और समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव से जा मिले। इससे झुंझलाई मायावती ने पार्टी के इन सभी विधायकों को सस्पेंड कर दिया है। उन्होंने इसके लिए समाजवादी पार्टी को भी खरी खोटी सुनाई है।
मायावती ने जिन विधायकों को पार्टी से सस्पेंड किया है, उनमें, असलम राइनी ( भिनगा-श्रावस्ती), असलम अली (ढोलाना-हापुड़), मुजतबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-इलाहाबाद), हाकिम लाल बिंद (हांडिया- प्रयागराज), हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर), सुषमा पटेल ( मुंगरा दशाहपुर) और वंदना सिंह -( सगड़ी-आजमगढ़) शामिल हैं।
मायावती ने इस पूरे घटनाक्रम का ठीकरा समाजवादी पार्टी के सिर फोड़ा। उन्होंने कहा, "इनका एक और दलित विरोधी चेहरा हमें कल राज्यसभा के पर्चों के जांच के दौरान देखने को मिला। जिसमें सफल न होने पर ये 'खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे' की तरह पार्टी जबरदस्ती बीएसपी पर बीजेपी के साथ सांठगांठ करके चुनाव लड़ने का गलत आरोप लगा रही है"
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मायावती ने इस विधायकों को सस्पेंड करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था। लेकिन यह हमारी बहुत बड़ी भूल थी। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का असली चेहरा अब सामने आ गया है। मायावती ने कहा, हमारी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा से हाथ मिलाया था लेकिन उनके पारिवारिक अंतरकलह के कारण बीएसपी के साथ गठबंधन कर भी वो ज्यादा लाभ नहीं उठा पाए।
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अब मायावती ने ऐलान कर दिया है कि वे राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी उम्मीदवारों को बुरी तरह हराएंगी। उन्होंने कहा कि वे इसके लिए पूरी ताकत झोंक देंगी। उन्होंने यहां तक कहा कि इसके लिए अगर बीजेपी को वोट देना पड़े तो वे ऐसा भी कर सकती हैं।
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बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही समाजवादी पार्टी के साथ उनका संपर्क बंद हो गया था। उन्होंने कहा कि इसीलिए उन्हें अपना रास्ता बदलना पड़ा। उन्होंने कहा कि मैं इस बात का भी खुलासा करना चाहती हूं कि "जब हमने यूपी में लोकसभा चुनाव के लिए सपा के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया तो हमने इसके लिए बहुत मेहनत की लेकिन जब से यह गठबंधन हुआ था तब से सपा प्रमुख की मंशा दिखने लगी थी।"
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