उत्तर प्रदेश का फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की खबरों का खंडन करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने साफ किया है कि उनकी पार्टी का सपा से कोई गठबंधन नहीं हुआ है। हालांकि मायावती ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को हराने वाली पार्टी को समर्थन करेंगे। मीडिया से बात करते हुए बसपा सुप्रीमो ने कहा कि लोकसभा उपचुनाव और आगामी राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एक दूसरे को समर्थन देने का मतलब गठबंधन नहीं है।
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इससे पहले दिन भर चर्चा रही कि लोकसभा उपचुनाव के लिए बसपा और सपा में गठबंधन हो गया है। इसके बाद बसपा के गोरखपुर और फूलपुर समन्वयक ने भी इस संबंध में ऐलान कर दिया। लेकिन शाम होते होते बसपा सुप्रीमो ने इन अटकलों पर विराम लगाते हुए स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी का किसी के साथ गठबंधन नहीं है और उनके मतदाता बीजेपी को हराने वाले का समर्थन करेंगे।
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बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन पर अपनी पार्टी का रुख साफ करते हुए कहा, कुछ शरारती तत्व हैं, जो ये अफवाह फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी कोई उम्मीदवार नहीं उतारने जा रही है और हमारे पार्टी कार्यकर्ता बीजेपी उम्मीदवार को हराने के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा, “यूपी में हाल में होने वाले राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एसपी और बीएसपी के द्वारा एक दूसरे को वोट ट्रांसफर किया जाता है, तो ये कोई चुनावी गठबंधन नहीं है।”
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हालांकि, सूत्रों के अनुसार बसपा ने गोरखपुर और फूलपुर सीट से सपा प्रत्याशियों के समर्थन का फैसला पहले ही ले लिया था। लेकिन इसको लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि शायद मायावती सीधे तौर पर खुद इसकी घोषणा ना करें और स्थानीय स्तर के नेताओं से घोषणा करवाएं। और ऐसा ही हुआ।
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सूत्रों के अनुसार, पार्टी में पहले भी उपचुनाव में किसे समर्थन दिया जाए, इसको लेकर काफी दिनों से स्थानीय स्तर पर चर्चा चल रही थी। लेकिन मुलायम सिंह यादव और मायावती के बीच पुरानी अदावत की वजह से इस बारे में फैसला नहीं हो पा रहा था सका है। लेकिन सपा की कमान अब अखिलेश यादव के हाथों में है और वे लंबे समय से बसपा के साथ गठबंधन की कोशिशें करते आ रहे हैं। वहीं, बसपा के भी कुछ स्थानीय नेताओं का मानना है कि अगर पार्टी खुद चुनाव नहीं लड़ रही है तो उसे किसी ना किसी को समर्थन देना चाहिए और जनता के बीच जाना चाहिए। वर्ना ये तो पूरी तरह से मैदान छोड़ने वाली बात हो जाएगी, जिससे अपना ही नुकसान होगा। कार्यकर्ता और नेता कुछ भी कहें, सभी को पता है कि बसपा में आखिरी फैसला मायावती का ही होता है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को मतदान होना है और 14 मार्च नतीजे आएंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। गोरखपुर वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट मानी जाती है। ऐसे में ये उपचुनाव उनके और मौर्या के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। इसीलिए बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवरों के चयन में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा है।
बीजेपी ने फूलपुर उपचुनाव में भाजपा ने वाराणसी के पूर्व महापौर कौशलेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है, वहीं सपा ने नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को और कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता जेएन मिश्र के पुत्र मनीष मिश्र को चुनाव मैदान में उतारा है। दूसरी ओर, योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। पूर्वांचल में उपेंद्र दत्त शुक्ला की पहचान एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में है और कार्यकर्ताओं में उनकी अच्छी पकड़ है। वहीं, सपा ने यहां निषाद पार्टी और पीस पार्टी के साथ गठबंधन के तहत निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे इंजीनियर प्रवीण कुमार निषाद को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने डॉ. सुरहिता को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं देने का फैसला किया है।
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