जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने देश के गृह मंत्री अमति शाह से मुलाकत करने के बाद एक बयान जारी किया है। बयान में उन्होंने कहा कि उनके लिए देश का हित सबसे ऊपर है। जीमयत ने देश को मजबूत बनाने के लिए काम किया है। बयान में कहा गया है कि कुछ मुद्दे पर जमीयत का सरकार के साथ भेदभाव हो सकता है, लेकिन जब राष्ट्रीय हित की बता आएगी तो हम हमेशा सरकार के साथ कड़े रहेंगे।
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जमीयत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि देश भर में मुस्लिम संगठनों ने एनआरसी और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम संशोधन कानून (यूएपीए) समेत अन्य मुद्दों पर अपनी आशंकाओं को गृह मंत्री के सामने उठाया। बयान में कहा गया है कि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मुसलमानों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है। शाह ने कहा कि किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। शाह ने यह भी कहा कि घुसपैठियों के लिए देश में कोई जगह नहीं है।
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बयान में कहा गया है कि गृह मंत्री ने यह साफ किया कि अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला कश्मीरियों के हित में लिया गया है। इसमें कश्मीर के मौजूदा हालात का भी जिक्र किया गया है। जमीयत ने कहा कि अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से घाटी में अफवाह फैलाकर शांति भंग करने की साजिश को नाकाम करने के लिए मोबाइल सेवाओं को बंद रखा गया है। बयान के मुताबिक, शाह ने कहा कि एनआरसी को लेकर मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।
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जमीयत की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमित शाह ने कहा कि यूएपीए कानून का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा। अमित शाह के साथ मुलाकात के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना कारी मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी, जमीयत अहले हदीस हिन्द के प्रमुख मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सल्फी समेत संगठन के कई लोग मौजूद थे।
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