हालात

लॉकडाउन से भारी दबाव में कई मंत्रालय, मोदी सरकार के सामने देश को पटरी पर लाने की चुनौती

भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने जरूरी सामानों की आपूर्ति समस्या है, तो उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के सामने उद्योगों को बचाने का भारी दबाव है। जबकि खाद्य व आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान के सामने खाद्यान्न आपूर्ति और वितरण की समस्या बढ़ती जा रही है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जारी 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने पर पीएम मोदी मंगलवार सुबह 10 बजे देश को संबोधित करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि अपने संबोधन में वह लॉकडाउन आगे बढ़ाने के साथ ही उसमें कुछ सीमित छूट का ऐलान कर सकते हैं, क्योंकि पूर्ण लॉकडाउन के कारण पूरे देश में तमाम तरह का उद्योग और कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है। तमाम ऑफिसों में कामकाज बंद है, व्यावसाय पर ताले लटक गए हैं और लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं।

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21 दिन के लॉकडाऊन से कोरोना संक्रमण को बड़े पैमाने पर फैलने से जहां रोका जा सका है, वहीं अब मोदी सरकार के सामने दूसरी बड़ी चुनौती देश को पटरी पर लाकर हालात सामान्य करने की है। कामकाज ठप हो जाने से तमाम सेक्टरों में छटपटाहट देखी जा रही है, जिससे कई मंत्रालय भारी दबाव में है। वित्त मंत्रालय, भारी उद्योग मंत्रालय, भूतल एवं परिवहन मंत्रालय, रेल मंत्रालय, दूर संचार मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय समेत सरकार के कई विभागों के सामने कोरोना संक्रमण से बचते हुए उद्योगों को बचाने की चुनौती बड़ी समस्या बनी हुई है।

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मंत्रालयों की बात करें तो भूतल परिवहन और सूक्ष्म, लघु, मध्यम इंटरप्राइजेज मंत्री नितिन गडकरी के सामने लॉकडाउन में जरूरी सामानों की आपूर्ति समस्या बनती जा रही है। देश में लॉकडाउन के कारण जरूरी सामानों का परिवाहन विकराल समस्या बनता जा रहा है। देश के उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के सामने उद्योगों को बचाने का भारी दबाव है। जबकि खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राम विलास पासवान के सामने भी देश भर में खाद्यान्न आपूर्ति और उसके वितरण की समस्या बढ़ती जा रही है।

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फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटर प्राइजेज के अनिल भारद्वाज का कहना है कि सबसे बड़ा सवाल है कि लघु और मझोले उद्योग इन हालात में रोज का खर्च कैसे चलाएं और कर्मचारियों को सैलरी कहां से दें? दूसरी बड़ी समस्या उद्योग के लिए गए भवनों का किराया, बिजली का बिल, साफ-सफाई और रख-रखाव का खर्च, बैंक के लोन पर लगने वाले ब्याज आदि की व्यवस्था कैसे हो? ऊपर से सरकार लॉकडाऊन बढ़ाने का संकेत दे रही है। यह नहीं पता कि आगे यह सब कितने दिन तक चलेगा?

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ये सारे सवाल लगातार सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग जुड़े लोगों को परेशान कर रहे हैं। क्योंकि आमदनी कहीं से नहीं हो रही है, ऊपर से रोजमर्रा का खर्च बढ़ रहा है। अभी तक इन सब सवालों को लेकर सरकार की तरफ से कोई दिशानिर्देश नहीं आया है। ऐसे में लोगों का तनाव काफी बढ़ता जा रहा है। इसी को देखते हुए पीएम मोदी ने कोविड-19 के संक्रमण से निबटने के साथ ही देश में कामकाज, व्यवसाय, कारोबार को पटरी पर लाने की चुनौती पर राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों को एक समूह को विचार करने की जिम्मेदारी दी थी, जो आज अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है।

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