सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वॉट्सऐप ने एक चौंकाने वाले खुलासे में दावा किया है कि भारत के 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कई भारतीय पत्रकारों, वकीलों शिक्षाविदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर नजर रखी गई। इस काम को इजरायल की एक एजेंसी एनएसओ द्वारा विकसित विवादास्पद स्पाईवेयर पेगासस के इस्तेमाल के जरिये अंजाम दिया। वॉट्सऐप ने 29 अक्टूबर को अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को की एक अदालत में आरोप लगाया कि इजरायली समूह ने पेगासस का इस्तेमाल कर लगभग 1,400 वॉट्सऐप यूजर्स पर नजर रखी थी।
Published: 31 Oct 2019, 4:33 PM IST
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर सरकार पर निजता के हनन के लग रहे आरोप को बेबुनियाद बताया है। मंत्रालय ने कहा कि ऐसा कर सरकार की छवि को खराब करने की कोशिश की गई है। वहीं, आईटी मंत्रालय ने इस मामले को लेकर व्हाट्सएप से 4 नवंबर तक एक विस्तृत जानकारी की मांग की है।
इस पूरे मामले में सामने आया है कि देश के करीब 20-25 पत्रकारों, शिक्षाविदों, वकीलों और मानवाधाकार व दलित एक्टिविस्टों से वॉट्सऐप ने संपर्क कर उन्हें इस बात की जानकारी दी है कि 2019 के मई में 2 सप्ताह तक उनके फोन अत्याधुनिक सर्विलांस पर थे। हालांकि, वॉट्सऐप ने भारत में शिकार हुए लोगों की पहचान और ‘सटीक संख्या’ का खुलासा करने से साफ इनकार कर दिया है।
Published: 31 Oct 2019, 4:33 PM IST
इस बीच खबर है कि भारत में भारत में इसका शिकार होने वालों महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार मानवाधाकिर कार्यकर्ताओं और वकीलों का मुकदमा लड़ रहे वकील भी है। भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार मानवाधिकार वकील सुरेंद्र गाडलिंग की ओर से मुकदमा लड़ रहे वकील निहालसिंह राठौड़ ने अपने फोन पर पेगासस के हमले की पुष्टि की है। उन्होंने दावा किया है कि मामले के आरोपियों के खिलाफ पुणे पुलिस ने जो पत्राचार के रिकॉर्ड कोर्ट में पेश किए हैं, वे उनके कंप्यूटर से बरामद किए गए थए। निहालसिंह राठौड़ ने दावा किया है कि पेगासस हैक का खुलासा साबित करता है कि ये पत्राचार उनके कंप्यूटरों में हैक करके सेव किया गया था।
Published: 31 Oct 2019, 4:33 PM IST
इस मामले में सबसे दिलचस्प बात ये है कि इजरायल के एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित स्पाईवेअर पेगासस केवल सरकार या सरकारी एजेंसियों को ही बेचा जाता है। आरोप लगने के बाद समूह ने भी दावा किया है कि यह तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए नहीं है। एनएसओ ने कहा है कि पेगासस सिर्फ सरकारी एजेंसियों को बेचा गया है। कंपनी का कहना है कि हम अपने उत्पाद का लाइसेंस केवल वैध सरकारी एजेंसियों को देते हैं।
ऐसे में भीमा-कोरेगांव मामले के आरोपियों के वकील का दावा गंभीर हो जाता है। क्योंकि वह भी बार-बार सराकरी एजेंसियों पर कंप्यूटर हैक करने और उसमें संदिग्ध और गैरकानूनी सामग्री सेव करने का आरोप लगा रहे हैं, जिसे एजेंसियों ने आरोपियों के पास से बरामद दिखाया है।
Published: 31 Oct 2019, 4:33 PM IST
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Published: 31 Oct 2019, 4:33 PM IST