मणिपुर धधक रहा है, चारों तरफ अफरा-तफरी है, कम से कम 8 जिलों में कर्फ्यू है, मोबाइल इंटरनेट ठप कर दिया गया है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। दरअसल मणिपुर में 3 मई को हिंसा भड़क उठी थी। हिंसा बुनियादी तौर पर गैर आदिवासी मैतेई और कुकी आदिवासियों के बीच हो रही है।
हिंसा के चलते राजधानी इम्फाल में सन्नाटा छा गया है। कर्फ्यू के चलते गुरुवार को एक खौफनाक खामोशी पूरी राजधानी में महसूस की जा रही है। जगह-जगह जली हुई या जलती हुई गाड़ियां नजर आ रही हैं, जिससे साफ महसूस किया जा सकता है कि हिंसा की लपटें कितनी ऊंची उठी थीं। हालात इतने तनावपूर्ण हैं कि कर्फ्यू न भी होता तो भी आम लोग बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।
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यह वीडियो मणिपुर से बरुन थोकचॉम ने भेजा है।
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जगह-जगह पुलिस और अर्धसैनिक बल नजर आ रहे हैं। इनके जिम्मे कर्फ्यू को सख्ती से लागू करते हुए शांति व्यवस्था कायम करना है। हर गली हर नुक्कड़ और हर सड़क पर सुरक्षा बलों के भारी बूटों की धमक सुनाई दे रही है। किसी के भी कहीं आने-जाने पर पूरी तरह पाबंदी है।
जिन इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है उनमें इम्फाल पश्चिम, काकचिंग, थूबल और बिश्नुपुर जिले शामिल हैं। इन जिलों को गैर-आदिवासी आबादी वाला इलाका माना जाता है। इसके अलावा आदिवासी बहुल जिलों चुराचांदपुर, कांगपोपकी और तेंगनुपल में भी कर्फ्यू है। चूराचांदपुर हिंसा के केंद्र के रूप में सामने आया है।
पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं पांच दिन के लिए बंद कर दी गई हैं, सिर्फ ब्रॉडबैंड सेवाएं ही चल रही हैं।
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हिंसा की शुरुआत चूराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन, मणिपुर (एटीएसयूएम- ATSUM) के आह्वान पर हुए आदिवासी एकता मार्च से मानी जा रही है। इस मार्च का आयोजन मैती समुदाय द्वारा उन्हें राज्य की अनुसूचित जाति श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग के खिलाफ किया गया था।
इस मार्च में विभिन्न आदिवासी समुदाय के लोगों ने भारी संख्या में हिस्सा लिया था। मार्च का नारा था – Come now, let us reason together…यह मार्च जब इलाके के सेनापति, उखरुल, कांगपोकपी, तामेंगलॉंग, चूराचांदपुर, चांदेल और तेंगनुपल से गुजरा तो नारे और बुलंद हो गए।
इस रैली में हजारों की तादाद में लोग शामिल थे। इसी मार्च के दौरान आदिवासी और गैर-आदिवासियों के बीच तोरबंग इलाके में हिंसा शुरु हो गई। पुलिस के मुताबिक आंदोलनकारी युवा इम्फाल वेस्ट के कांचीपुर और ईस्ट के सोइबम लेकाइ इलाके में जमा हो रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें किसी तरह वहां से खदेड़ा।
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वैसे आशंका इस बात की है कि इस हिंसा में कुकी उग्रवादी भी शामिल हैं। हालांकि कुकी उग्रवादी सरकार के साथ समझौते के बाद अपने ऑपरेशन रोक चुके हैं। लेकिन खुफिया इनपुट मिलने के बाद स्थिति काफी तनावपूर्व हो गई है, जिसके बाद देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए।
दरअसल मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने को लेकर काफी समय से चर्चा चल रही है। इस मांग के समर्थकों का कहना है कि इससे मैतेई समुदाय को सुरक्षा और अवसर मिलेंगे, जबकि इसके विरोधियों का कहना है कि इससे उन्हें मिलने वाले आरक्षण में कटौती आ जाएगी।
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन, मणिपुर (एटीएसयूएम- ATSUM) ने इसी पर मार्च का आह्वान किया था। उनका कहना था कि जब भी मैतेई समाज की मांग पर विचार हो तो उनके अधिकारों का भी ध्यान रखा जाए।
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मौजूदा स्थिति मणिपुर हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद बनी है जिसमें सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह मैतेई समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की सिफारिश करे। मैतेई समाज ने हाईकोर्ट में अर्जी देकर सरकार से केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस सिफारिश को करने की मांग की थी।
मणिपुर हाईकोर्ट के सिंगल जज बेंच ने 14 अप्रैल को जारी अपने निर्देश में चार सप्ताह का समय सरकार को दिया था। इसी आदेश के बाद मणिपुर हिंसा की आग में जल उठा। मणिपुर में 34 चिह्नित जनजातियां हैं जिन्हें अन्य कुकी आदिवासी के तौर पर वर्गीकृत किया गया है। इसी तरह अन्य नगा आदिवासियों को भी चिह्नित किया गया है। इनमें से अधिकांश समुदाय बीते करीब 12 साल से उन्हें जनजाति के तौर पर अधिसूचित करने की मांग कर रहे हैं।
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हिंसा के बीच सेना और असम राइफल्स ने गुरुवार को भी हिंसा प्रभावित मणिपुर में फ्लैग मार्च किया। सेना और असम राइफल्स के जवानों ने चुराचांदपुर जिले के खुगा, टाम्पा और खोमौजनबा, इम्फाल पश्चिम जिले के मंत्रीपुखरी, लम्फेल और कोइरंगी और काचिंग जिले के सुगनू में गुरुवार को फ्लैग मार्च किया। डिफेंस पीआरओ ने बताया कि अब तक सेना और असम राइफल्स की कुल 55 टुकड़ियों को तैनात किया गया है। अतिरिक्त 14 टुकड़ियों को शॉर्ट नोटिस पर तैनाती के लिए तैयार रखा गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न समुदायों के लगभग 10,000 ग्रामीणों को विभिन्न जिलों में सेना और असम राइफल्स के शिविरों में भेजा गया है।
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मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने लोगों से अपील करते हुए उनसे शांति बनाए रखने और राज्य सरकार के साथ सहयोग करने का आग्रह किया। सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा कि बुधवार की घटनाएं समुदायों के बीच गलतफहमी के कारण हुईं। सरकार सभी समुदायों और नेताओं से बात करने के बाद मांगों और शिकायतों का समाधान करेगी। उन्होंने कहा कि उनके मिजोरम समकक्ष जोरमथांगा ने भी उनसे बात की और मणिपुर में आदिवासियों के संरक्षण पर चर्चा की। कई मौतों की अफवाह फैलाई जा रही है जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए समस्या पैदा कर रही है। अधिकारियों ने किसी के मारे जाने की पुष्टि नहीं की है।
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