मणिपुर में जारी हिंसा के बीच हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में राज्य सरकार के अधिकारियों को कुछ निर्धारित स्थानों पर सीमित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह निर्णय राज्य में छात्रों की चल रही प्रवेश प्रक्रिया और जनता को हो रही परेशानियों को देखते हुए लिया है। कोर्ट ने साफ तौर पर राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह कुछ सीमित जगहों पर इंटरनेट सेवा चालू करें।
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हाईकोर्ट का यह निर्देश विभिन्न व्यक्तियों द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आया है। अब इस मामले पर 23 जून को दोबारा सुनवाई होगी। मणिपुर में लगातार जारी हिंसा के बीच अफवाहों के प्रसार को रोकने के लिए 15 जून से एक बार फिर से इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हिंसा की कुछ घटनाओं के बीच, मणिपुर सरकार ने 3 मई के बाद से अब तक नौवीं बार इंटरनेट सेवाओं के निलंबन को आगे बढ़ाया है।
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हाईकोर्ट की खंडपीठ में न्यायमूर्ति अहंथेम बिमोल सिंह और न्यायमूर्ति ए. गुनेश्वर शर्मा ने वोडाफोन, आइडिया, जियो, बीएसएनएल और एयरटेल के सेवा प्रदाताओं को एक छोटा हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें यह बताने के लिए कहा गया है कि क्या जनता को सीमित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने की कोई व्यवस्था है।
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मणिपुर मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति उत्पलेंदु विकास साहा और सदस्य के.के. सिंह ने पहले ही गृह आयुक्त से राज्य में इंटरनेट सेवा चालू करने पर विचार करने को कहा था। जानकारी के मुताबिक, राज्य में 3 मई से जातीय हिंसा भड़कने के बाद से इंटरनेट सेवा बाधित है। आयोग ने पिछले महीने मणिपुर के चुराचंदपुर में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन पर आइजोल निवासी कामिंगथांग हंगशिंगन की शिकायत के बाद यह निर्देश दिया था। शिकायत में इसे 'मानवाधिकारों का हनन' बताया गया है।
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वहीं विपक्षी कांग्रेस सहित विभिन्न संगठन मणिपुर में इंटरनेट सेवा तत्काल बहाल करने की मांग कर रहे हैं। वहीं, मणिपुर उच्च न्यायालय के एक वकील चोंगथम विक्टर सिंह ने हाल ही में मणिपुर में बार-बार इंटरनेट बंद करने के खिलाफ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि सरकार ने दावा किया कि राज्य में इंटरनेट सामान्य स्थिति में लौट रहा है, लेकिन राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य में लोगों का सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा है। डेढ़ महीने के लिए इंटरनेट बंद होने से लोगों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं। परिवहन ईंधन, रसोई गैस और जीवन रक्षक दवाओं की कमी, बैंकिंग और ऑनलाइन सुविधाओं में गड़बड़ी से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
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