संघर्षग्रस्त मणिपुर में 6 जुलाई से लापता एक नाबालिग छात्रा और एक छात्र का शव मिलने के बाद भड़के तनाव के बीच मौजूदा स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने बुधवार को इंफाल सहित 19 पुलिस थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में अफ्सपा यानी सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (एएफएसपीए) लागू रहने की अवधि 6 महीने के लिए बढ़ा दी है।
राज्य के गृह आयुक्त टी. रंजीत सिंह द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि मणिपुर के राज्यपाल ने 19 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे मणिपुर राज्य को "अशांत क्षेत्र" घोषित करने की मंजूरी दी है और जिन क्षेत्रों में अफ्सपा की अवधि हाल ही में खत्म हो गई है, वहां इसके लागू रहने की अवधि 1 अक्टूबर से छह महीने के लिए बढ़ा दी गई है।
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मणिपुर में अफ्सपा का विस्तार करते हुए आयुक्त (गृह) ने कहा कि राज्यपाल की राय है कि विभिन्न चरमपंथी/विद्रोही समूहों की हिंसक गतिविधियों के मद्देनजर 19 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सशस्त्र बलों के उपयोग की जरूरत है। ये 19 पुलिस स्टेशन हैं- इंफाल, लाम्फेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पाटसोई, वांगोई, पोरोम्पैट, हेइंगैंग, लामलाई, इरिलबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नामबोल, मोइरंग, काकचिंग और जिरीबाम।
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उन्होंने कहा, “विस्तृत मूल्यांकन के बिना ऐसे संवेदनशील मामले पर किसी निष्कर्ष या निर्णय पर पहुंचना जल्दबाजी होगी, जिससे फिलहाल राज्य की ‘अशांत क्षेत्र’ स्थिति की समीक्षा करना उचित नहीं होगा। अशांत क्षेत्र' की स्थिति की घोषणा का मुद्दा बहुत संवेदनशील है और यदि उचित कार्रवाई नहीं की गई तो सार्वजनिक आलोचना और प्रतिरोध हो सकता है।" अधिसूचना में कहा गया है कि उपरोक्त और राज्य में समग्र कानून व्यवस्था की स्थिति और राज्य मशीनरी की क्षमता को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने मणिपुर राज्य में वर्तमान अशांत क्षेत्र की स्थिति पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया है।
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इस बीच, बुधवार को मुख्यमंत्री सचिवालय से लगभग 200 मीटर दूर इंफाल के मोइरंगखोम इलाके में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारी छात्रों को तितर-बितर करने के लिए कई राउंड आंसूगैस के गोले दागे, जिसमें कई आंदोलनकारी छात्र घायल हो गए। पुलिस ने कहा कि आंदोलनकारी छात्रों ने सुरक्षा बलों पर पथराव किया, जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसूगैस के गोले दागे और धुआं बम छोड़ा।
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छह जुलाई से लापता एक नाबालिग लड़की समेत दो युवा छात्रों के अपहरण और हत्या के खिलाफ विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने दूसरे दिन भी आंदोलन किया। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं। छात्र जब "हमें न्याय चाहिए" के नारे लगाते हुए मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के बंगले की ओर बढ़ रहे थे, सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया, जिसके बाद झड़प हो गई।
दूसरी ओर, एक प्रमुख आदिवासी संस्था, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) की महिला शाखा ने राज्य में 3 मई को जातीय हिंसा के दौरान आदिवासियों की हत्या और दुष्कर्म की घटनाओं की सीबीआई जांच में देरी के विरोध में चुराचांदपुर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया।
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