पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा सियासी दांव चलते हुए राज्य में विधान परिषद के गठन का फैसला लिया है। इस सिलसिले में कदम बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने आज विधानसभा से राज्य में विधान परिषद के गठन का प्रस्ताव पास करा लिया। विधानसभा में इस प्रस्ताव के समर्थन में 196 वोट और विरोध में 69 वोट पड़े।
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विधानसभा में पारित इस प्रस्ताव को अब मंजूरी के लिए केंद्र के पास भेजा जाएगा, जहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही राज्य में उच्च सदन का गठन हो सकेगा। अब देखना होगा कि केंद्र सरकार राज्य सरकार द्वारा पारित इस प्रस्ताव को कब तक मंजूरी देती है, क्योंकि केंद्र और बंगाल सरकार के बीच जारी तनाव सर्वविदित है।
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ममता के इस कदम को बड़ा सियासी दांव कहा जा रहा है। दरअसल माना जा रहा है कि ममता ने कोरोना के चलते चुनाव न हो पाने की वजह से उत्तराखंड में तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे को देखते हुए आनन-फानन में विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया शुरू की है। दरअसल ममता बनर्जी खुद अपना विधानसभा चुनाव हार गई थीं, जिस कारण से उन्हें 6 महीने के अंदर में विधानसभा का सदस्य बनना जरूरी है।
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हालांकि, 18 मई को तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी ने कैबिनेट फैसले में राज्य में उच्च सदन यानी विधान परिषद बनाने के फैसले को मंजूरी दी थी। इससे पहले चुनाव में ममता ने ऐलान किया था कि जिन बुद्धिजीवियों और दिग्गज नेताओं को विधानसभा चुनाव में मौका नहीं दिया गया था, उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया जाएगा। सीएम ने 2011 के विधानसभा चुनावों के बाद नंदीग्राम और सिंगूर में उनके अभियान का हिस्सा रहने वालों को विधान परिषद में भेजने का वादा किया था।
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