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नीति आयोग की बैठक का ममता बनर्जी ने किया बहिष्कार, पीएम मोदी को लिखा खत, जानिए क्या कहा?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी पत्र लिखकर नीति आयोग द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है। ऐसे में इन बैठकों में भाग लेने से कोई फायदा नहीं है।

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया  

नीति आयोग की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शामिल होने से इनकार कर दिया है। इसकी जानकारी ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर दी है। ममता बनर्जी ने चिठ्ठी लिखकर कहा कि नीति आयोग के पास राज्य सरकारों को वित्तीय मदद देने का कोई अधिकार नहीं है इसलिए इस बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है। बता दें कि 15 जून को नीति आयोग की बैठक होनी है।

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ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे चिठ्टी में कहा है कि 15 अगस्‍त 2014 को आपने योजना आयोग की जगह नीति आयोग के गठन की घोषणा की थी। ममता बनर्जी ने कहा कि मैं आश्‍चर्यचकित हूं कि राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों से इस बारे में कोई बात नहीं की गई।”

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उन्होंने आगे लिखा, “नीति आयोग के साथ पिछले साढ़े चार सालों से अनुभव ने मुझे आपको पूर्व में दिए सुझाव पर वापस ला दिया है कि हमें संविधान की धारा 263 के तहत उचित संशोधनों के साथ अतंर राज्यीय परिषद् का गठन करना चाहिए। जिससे कि संविधान द्वारा मिली शक्तियों का उचित क्रियान्वयन हो सके। इससे आपसी समन्वय गहरा होगा और संघीय राजनीति को मजबूती मिलेगी।”

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बता दें कि इससे पहले ममता बनर्जी पीएम मोदी के शपथग्रहण समारोह का हिस्सा नहीं बनी थीं। पत्र में ममता ने लिखा था, “नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी आपको बधाई! 'संवैधानिक आमंत्रण' पर मैंने शपथ ग्रहण में शामिल होने का फैसला किया था। हालांकि, पिछले कुछ घंटे में मीडिया रिपोर्ट में मैंने देखा कि बीजेपी दावा कर रही है कि बंगाल में 54 राजनीतिक हत्याएं हुई हैं। यह पूरी तरह से झूठ है। बंगाल में कोई राजनीतिक हत्या नहीं हुई है। संभव है कि यह हत्या पुरानी रंजिश, पारिवारिक झगड़े या फिर किसी और रंजिश में हुई हो। इसमें राजनीति का कोई संबंध नहीं है और न ही हमारे रिकॉर्ड में ऐसा कुछ है।”

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उन्होंने आगे कहा था, “इसलिए नरेंद्र मोदी जी, मैं दुख के साथ कहना चाहती हूं कि इन सब कारणों से मैं आपके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी। यह समारोह लोकतांत्रिक उत्‍सव मनाने का एक मौका था। किसी भी एक राजनीतिक दल को यह अधिकार नहीं है कि वह इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश करे।”

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