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मालेगांव ब्लास्टः NIA अदालत ने BJP सांसद प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ वारंट जारी किया, 20 मार्च को देना होगा जवाब

मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में विस्फोट होने से 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। शुरुआत में इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता कर रहा था, लेकिन 2011 में मामला एनआईए को सौंप दिया गया।

मालेगांव ब्लास्ट में NIA अदालत ने BJP सांसद प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ वारंट जारी किया
मालेगांव ब्लास्ट में NIA अदालत ने BJP सांसद प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ वारंट जारी किया फोटोः सोशल मीडिया

मुंबई में एनआईए की अदालत ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले की आरोपी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बार-बार चेतावनी के बावजूद पेश नहीं होने के बाद सोमवार को जमानती वारंट जारी किया है। बीजेपी सांसद को जमानती वारंट पर 20 मार्च को जवाब देने का निर्देश दिया गया है। जमानती वारंट का अर्थ होता है कि यदि गिरफ्तार व्यक्ति अदालत के समक्ष अपनी पेशी के लिए पर्याप्त जमानतदारों से जमानत दिलवाता है, तो उसे हिरासत से रिहा किया जा सकता है।

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इससे पहले, प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने चिकित्सा आधार पर अपने मुवक्किल को पेशी से छूट देने का अनुरोध करते हुए एक आवेदन दायर किया था, लेकिन विशेष एनआईए अदालत के न्यायाधीश एके लाहोटी ने याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा, “आरोपी संख्या 1 (ठाकुर) के (5 मार्च को दायर) अंतिम आवेदन पर विचार करते हुए उन्हें मेडिकल प्रमाणपत्रों के साथ 11 मार्च को उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था। उपरोक्त निर्देशों के बावजूद न तो वह उपस्थित हुईं और न ही मूल चिकित्सा प्रमाणपत्र पेश किए गए।”

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न्यायाधीश ने कहा, “इसलिए, मैं (अदालत में उपस्थिति से छूट संबंधी) वर्तमान आवेदन को मंजूर करने का इच्छुक नहीं हूं। उनके खिलाफ 10,000 रुपये का जमानती वारंट जारी करें और 20 मार्च को इस पर जवाब दिया जाए।” पेशी से छूट संबंधी याचिका में वकील जेपी मिश्रा ने कहा कि ठाकुर के लोकसभा क्षेत्र भोपाल में उनके चिकित्सक ने कहा है कि उन्हें चक्कर आ रहे हैं और वह अपने जोखिम पर ही यात्रा कर सकती हैं।

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बीजेपी सांसद ठाकुर और छह अन्य के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमा दर्ज है। एनआईए अदालत वर्तमान में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है। न्यायाधीश ने पिछले माह ठाकुर को चेतावनी दी थी कि यदि वह अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं हुईं तो उनके खिलाफ ‘‘उचित कार्रवाई’’ की जाएगी।

मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर रखे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। शुरुआत में इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता कर रहा था, लेकिन 2011 में मामला एनआईए को सौंप दिया गया।

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