अभी 10 फरवरी को जामिया छात्रों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ संसद तक मार्च निकालने का ऐलान किया था, लेकिन पुलिस ने इन्हें जबरदस्ती रोक लिया था। छात्रों को पुलिस बैरिकेड और भारी तादाद में पुलिस वालों को देखकर हैरानी नहीं हुई थी, लेकिन जिस तरह पुलिस ने इन छात्रों पर बल प्रयोग किया, उससे हर कोई हैरान और गुस्से में है।
जामिया यूनिवर्सिटी में पर्शियन ऑनर्स कर रही छात्रा फौजिया भी पुलिस के बल प्रयोग में जख्मी हुई थी। वह अभी भी अस्पताल में भर्ती है। नवजीवन से बातचीत में फौजिया ने बताया कि दिखाने के लिए वहां कुछ महिला कांस्टेबल भी थीं, लेकिन बल प्रयोग ज्यादातर पुरुष पुलिस वालों ने ही किया। फौजिया ने बताया कि पुलिस वालों ने छात्राओं के निजी अंगों पर जूते से प्रहार किए, जिससे गंभीर चोटें आई हैं।
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पूरी कार्रवाई सामने आने के बाद ऐसा आभास होता है कि छात्रों के निजी अंगों में प्रहार करने का काम सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया। ऐसा ही एक छात्र अभी भी आईसीयू में है, जबकि कई छात्राओं को यूरिनरी इंफेक्शन की शिकायत है। छात्र-छात्राओं का दावा है कि पुलिस इसके बाद इलाके में किसी केमिकल का स्प्रे भी किया था। छात्राओं ने बताया कि पुरुष पुलिसवालों ने महिलाओं को धक्के दिए, उनके स्कार्फ खींचे और उन पर लाठियां बरसाईं।
फौजिया की टांगों और पीठ पर तमाम चोटों के निशान हैं। उसने बताया कि, “मेरे शरीर के कई हिस्सों पर नीले निशान पड़ गए हैं।” फौजिया के मुताबिक, “एक भारीभरकम शरीर वाला पुलिसवाला मेरे ऊपर ही गिर पड़ा, जिससे मैं बेहोश सी हो गई थी। जब मैंने आंख खोली तो किसी ने मुझे घसीटकर किनारे कर दिया था। वहीं करीब में राफिया और ईमान भी जख्मी हालत में पड़ी हुई थीं।”
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एक अन्य छात्रा ने बताया कि, “वे हमें गालियां दे रहे थे, फब्तियां कस रहे थे, हमें ताज्जुब है कि हम जिंदा बच गए क्योंकि वे हमें मारने को कह रहे थे। जब हम जमीन पर गिरे हुए थे तो उन्होंने मेरे जूते खींच लिए और पीटना शुरु कर दिया।” ड्यूटी पर तैनात एक डॉक्टर ने इस बात की पुष्टि की कि आईसीयू में भर्ती ईमान को गंभीर अंदरूनी चोटें आई हैं। उसे कई दिन तक ब्लीडिंग होती रही और वह तकलीफ के कारण सो नहीं पा रही है।
ईमान बताती है कि, “एक पुलिसवाले ने मुझे पीछे से खींचा और जब मैं लड़खड़ाई तो दूसरे ने मेरे पैर पर अपना बूट रख दिया। मुझे बहुत जोर से दर्द हुआ। ऐसा लगा जैसे उसके जूते में कांटे लगे हुए थे, नहीं तो सिर्फ पैर दबने से इतनी चोट नहीं लगती। एक और पुलिस वाले ने बेहद क्रूर ढंग से मेरे पेट में हमला किया, जिससे मैं दर्द से दोहरी हो गई। इससे मुझे मुंह से खून आ गया।”
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जामिया नगर की रहने वाली राफिया बताती हैं कि “वह एक बैरिकेड पर चढ़ गई थी, ताकि पुलिस की गिरफ्त में आए दो छात्रों को बचा सकें। लेकिन उन्हें बचाने के दौरान पुलिस ने उन पर ही हमला कर दिया। उसने बताया कि उसने वहां मौजूद एक महिला कांस्टेबल को बताया कि ऐसे खींचेंगे तो वह गिर जाएगी, लेकिन उन्होंने नहीं सुना और मेरी ड्रेस को ऊपर उठा दिया और मेरा पेट नंगा कर दिया।”
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राफिया बताती है, “मैं नीचे गिर पड़ी तभी एक पुलिस वाले ने मेरे सीने पर अपना बूट मारा, फिर मेरे पेट में और मेरे निजी अंग पर। मैं दर्द से चिल्ला रही थी, लेकिन वह रुका नहीं। इसके बाद एक और पुलिस वाला दौड़ता हुआ आया और मुझे खींचकर अलग ले गया, तभी मैं बच सकी। मुझे लोगों ने बताया कि अगर उस पुलिस वाले ने नहीं बचाया होता तो मैं जिंदा नहीं बचती।”
राफिया की मेडिकल रिपोर्ट बताती है कि उसे सीने, पेट और अन्य जगहों पर गंभीर चोटें हैं, उसे सीने में दर्द की शिकायत है और उल्टियां हो रही हैं। राफिया कहती है कि “मेरी तीसरी और चौथी पसली में हल्का फ्रेक्चर हुआ है। आखिर पुलिस इतनी निर्मम कैसे हो सकती है।”
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अस्पताल में भर्ती छात्राओं को यूरिनरी इंफेक्शन की शिकायत है। राफिया ने बताया, “हम में से कई को यूरिनरी इंफेक्शन हो गया है, साथ ही पेशाब के साथ पस भी आ रहा है। ऐसा कैसे हो सकता है कि हम सबको एक ही तरह की बीमारी हो जाए?”
अस्पताल ने इस बात की पुष्टि की कि शुक्रवार शाम तक पांच छात्रों का इलाज जारी था। इनमें से एक छात्र को उसके निजी अंग पर गहरी चोट लगी है। दूसरे को सिर में गंभीर चोट है।
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