पिछले साल जुलाई में भारत में लागू हुए (वस्तु एवं सेवा कर) जीएसटी से देश भर में व्यापारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ल्ड बैंक भी भारत में लागू जीएसटी को दुनिया की सबसे जटिल कर प्रणाली बताते हुए इस पर कई गंभीर सवाल उठा चुका है। वर्ल्ड बैंक ने जीएसटी को दुनिया का दूसरा सबसे महंगा टैक्स सिस्टम करार दिया था।
भारत से पहले मलेशिया में भी ठीक ऐसी ही टैक्स प्रणाली 2015 में लागू की गई थी। जिससे वहां के व्यापारियों के साथ आम लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इससे लोगों में सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा था। इसका नतीजा यह निकला कि मलेशिया में हुए आम चुनाव में प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक की पार्टी को सत्ता गंवानी पड़ी और विपक्ष के अनुभवी नेता महातिर मोहम्मद को ऐतिहासिक जीत मिली। पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक ने अपने शासन में मलेशिया में जीएसटी लागू किया था। उन्होंने चुनाव से पहले दिए इंटरव्यू में कहा था कि जीएसटी लागू करना उनके लिए सबसे कठिन फैसला था। उन्होंने माना था कि जीएसटी लागू होने के बाद कई सामानों और सेवाओं के दामों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन देशहित में यह निर्णय जरूरी था।
मलेशिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने चुनाव प्रचार के दौरान नजीब रज्जाक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ ही जीएसटी से लोगों को हो रही परेशानी को भी प्रमुख मुद्दा बनाया था। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से वादा किया था कि उनकी सरकार आने के बाद जीएसटी हटा दी जाएगी। इसका नतीजा यह निकला कि महातिर मोहम्मद को चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल हुई।
मलेशिया से पहले जीएसटी की वजह से ही कनाडा में भी सत्ताधारी पार्टी को हार का सामना करान पड़ा था। कनाडा के प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता किम कैंपबेल को 1993 के राष्ट्रीय चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था, क्योंकि उनकी सरकार ने जीएसटी को लागू करने के बाद अपनी लोकप्रियता गंवा दी थी।
यही हाल ऑस्ट्रेलिया में भी जीएसटी लागू करने के बाद दिखा था। ऑस्ट्रेलिया में जॉन हॉवर्ड की सरकार ने जीएसटी लागू करने के तुरंत बाद 1998 में हुए चुनाव में बड़ी मुश्किल से वापसी की थी। सिंगापुर ने भी 1994 में जब जीएसटी लागू किया था तो वहां महंगाई काफी बढ़ गई थी।
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वहीं भारत में जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारियों के अलावा आम लोगों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 49 देशों में जीएसटी की एक दर है, जबकि 28 देशों में दो तरह की दरें लागू हैं और भारत समेत सिर्फ 5 देशों में ही अलग-अलग 4 तरह की कर दरें हैं। इन दरों को लेकर व्यापारियों के अलावा लोग भी काफी दिनों तक असमंजस की स्थिती में थे।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी जीएसटी को आसान बनाने की मांग की थी। जीएसटी से हो रही दिक्कतों के बाद राहुल गांधी ने कहा था कि 2019 में कांग्रेस की जीत के बाद जीएसटी को दुरुस्त किया जाएगा।
हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी जीएसटी को भुनाने की कोशिश में जुटी है। लेकिन कहीं ऐसा ना हो कि मलेशिया, कनाडा की तरह मोदी सरकार को भी अपना ये दांव उल्टा पड़ जाए।
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