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महुआ मोइत्रा 2 नवंबर को एथिक्स कमेटी के समक्ष होंगी पेश, दो पेज का पत्र साझा कर पूछे कई सवाल

मोइत्रा ने एक्स पर अपना दो पेज का पत्र साझा करते हुए कहा, "चूंकि एथिक्स कमेटी ने मीडिया को मेरा समन जारी करना उचित समझा, इसलिए मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि मैं भी कल अपनी सुनवाई से पहले समिति को अपना पत्र जारी करूं।"

फोटो: IANS
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'संसदीय सवालों के बदले पैसे' के मामले में आचार समिति के सामने पेश होने से एक दिन पहले, तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने बुधवार को कहा कि वह गुरुवार को पैनल के सामने पेश होंगी और शिकायतकर्ता जय अनंत देहाद्राई और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से जिरह करने की मांग की।

मोइत्रा ने एक्स पर अपना दो पेज का पत्र साझा करते हुए कहा, "चूंकि एथिक्स कमेटी ने मीडिया को मेरा समन जारी करना उचित समझा, इसलिए मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि मैं भी कल अपनी सुनवाई से पहले समिति को अपना पत्र जारी करूं।"

एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर को लिखे अपने पत्र में, तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें 28 अक्टूबर को समिति का पत्र मिला था, इसमें उन्हें सूचित किया गया था कि समिति 2 नवंबर को सुबह 11 बजे उनकी बात सुनेगी।

कृष्णानगर लोकसभा सांसद ने कहा,"शिकायतकर्ता देहाद्राई ने अपनी शिकायत में अपने आरोपों के समर्थन में कोई दस्तावेजी सबूत नहीं दिया है और न ही वह अपनी मौखिक सुनवाई में कोई सबूत दे सके। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए मैं देहाद्राई से जिरह करने के अपने अधिकार का प्रयोग करना चाहती हूं।"

उन्होंने कहा, "आरोपों की गंभीरता को देखते हुए, यह जरूरी है कि कथित 'रिश्वत देने वाले' हीरानंदानी को बुलाया जाए, जिन्होंने कम विवरण और किसी भी तरह के दस्तावेजी सबूत के साथ समिति को 'स्वतः संज्ञान' हलफनामा दिया है।"

उन्‍होंने कहा," मुझे जिरह करने का अवसर दिए बिना कोई भी पूछताछ अधूरी और अनुचित होगी।''

उन्होंने कहा कि वह समिति से अनुरोध कर रही हैं कि वह लिखित में "जवाब" दें और जिरह की "अनुमति या अनुमति न देने" के अपने फैसले को रिकॉर्ड में रखें।

उन्होंने 5 नवंबर के बाद अपनी उपस्थिति की तारीखें बदलने की मांग पर सहमति नहीं जताने के लिए समिति पर तंज करते हुए कहा कि वह 2 नवंबर को सुबह 11 बजे समिति के सामने पेश होंगी।

उन्होंने अपने मामले में और भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी द्वारा लोकसभा में बसपा सांसद कुंवर दानिश अली को गाली देने और धमकाने के मामले में समिति के दोहरे मानकों पर भी सवाल उठाया और कहा, “इसके ठीक विपरीत, रमेश बिधूड़ी के मामले में एक बहुत ही अलग दृष्टिकोण अपनाया गया है।” ,

उन्होंने कहा,"बिधूड़ी को मौखिक साक्ष्य देने के लिए 10 अक्टूबर को बुलाया गया था और उन्होंने समिति को सूचित किया था कि वह राजस्थान में चुनाव प्रचार कर रहे हैं और भाग नहीं लेंगे। अब तक उनकी सुनवाई की कोई और तारीख नहीं दी गई है। दो- मानकों से राजनीतिक उद्देश्यों की बू आती है। इससे विशेषाधिकार एवं नैतिकता शाखा की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।"

उन्होंने यह भी कहा कि सवाल है कि क्या एथिक्स कमेटी कथित "आपराधिकता" के आरोपों की जांच करने के लिए "उचित मंच" है।

तृणमूल कांग्रेस नेता ने कहा,"मैं आपको याद दिलाना चाहती हूं कि संसदीय समितियों के पास आपराधिक क्षेत्राधिकार नहीं है और उन्हें कथित आपराधिकता की जांच करने का कोई अधिकार नहीं है। यह केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा किया जा सकता है। “

उन्‍होंने कहा,"इसके अलावा, यदि आचार समिति किसी विभाग से रिपोर्ट मांगती है और ऐसी किसी रिपोर्ट पर भरोसा करना चाहती है (मीडिया को अध्यक्ष के बयान के अनुसार), तो मुझे रिपोर्ट की एक प्रति दी जानी चाहिए और जिरह की अनुमति दी जानी चाहिए।“

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