लोकसभा चुनाव की हलचल के बीच महाराष्ट्र में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में नागपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माफिया डॉन से नेता बने अरुण गुलाब गवली को समय से पहले जेल से रिहा किया जाएगा। हाईकोर्ट ने शुक्रवार को गवली की रिहाई की मांग वाली याचिका को मंजूर करते हुए सरकार को फैसला लेने का आदेश दिया।
Published: undefined
न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की खंडपीठ ने अरुण गवली की याचिका को स्वीकार कर लिया है। उनके वकील मीर नगमान अली ने बताया, गवली का आवेदन पहले इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि सरकार की एक अधिसूचना विशेष रूप से मकोका के तहत दोषी को नीति के लाभ से बाहर रखती है। उन्होंने तर्क दिया कि 2006 की अधिसूचना यह स्पष्ट करती है कि एनडीपीएस, टाडा, एमपीडीए आदि कानूनों के तहत दोषी 2006 के नीतिगत लाभों के हकदार नहीं हैं।
Published: undefined
गवली ने अपनी याचिका में कहा कि वो अब 69 साल का हो गया है और सरकार के ही एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जिन कैदियों की 14 साल की सजा हो चुकी है और उम्र 65 साल को पार कर गई है, उनको रिहा किया जा सकता है। वकील अली ने कहा, दोनों पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर गवली की रिहाई पर निर्णय लेने का निर्देश दिया, जिससे जेल से उसकी समय से पहले रिहाई का रास्ता साफ हो गया। उसने 16 साल जेल में बिताए हैं।
Published: undefined
मूल रूप से मुंबई के रहने वाले और दगड़ी चॉल के डॉन के रूप में खूंखार 69 वर्षीय अरुण गवली 2004 से 2009 तक विधायक भी रहा है। उसे 2006 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर मुकदमा चला, दोषी पाया गया और 2012 में शिव सेना नेता कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined