महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को बाबा रामदेव को बड़ा झटका देते हुए उनकी पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित ‘एंटी-कोविड’ दवा कोरोनिल की बिक्री पर रोक लगा दी है। महा विकास अघाड़ी सरकार ने कहा है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कोरोनिल के परीक्षणों पर सवाल उठाया है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पतंजलि आयुर्वेद के दावों का खंडन किया है।
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महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि कोरोनिल के 'नैदानिक परीक्षणों' और कोविड-19 उपचार के लिए इसकी प्रभावकारिता पर झूठे दावों के बारे में भी संदेह जताया गया है। उन्होंने कहा, “इस तरह की दवा को जल्दबाजी में शुरू करना और दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों द्वारा समर्थन किया जाना बेहद अपमानजनक है। डब्ल्यूएचओ, आईएमए जैसे सक्षम स्वास्थ्य संगठनों से उचित प्रमाणीकरण के बिना कोरोनिल की बिक्री महाराष्ट्र में नहीं होगी।”
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बता दें कि जून 2020 में जब कोविड-19 महामारी चरम पर थी, तब पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोना वायरस को ठीक करने का दावा करते हुए भारत की पहली आयुर्वेदिक दवा 'कोरोनिल' और 'स्वसारी' को लॉंच किया था। इसे लेकर चौतरफा सवाल उठने और कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद भारत सरकार ने भी दवा से हाथ खींच लिए थे।
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इसके बाद हाल ही में 19 फरवरी को कंपनी ने एक बार फिर कोरोना के इलाज का दावा करते हुए कोरोनिल को लांच किया और एक वैज्ञानिक शोध पत्र भी प्रस्तुत किया। खास बात ये है कि लांच में दावा किया गया कि यह दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्य प्राप्त है। उससे भी खास बात ये है कि इस दवा को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में लांच किया गया। इसके बाद आईएमए ने दवा पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय मंत्रियों से सफाई की मांग कर दी।
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