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'महाराष्ट्र को 2 साल पहले मिली थी BJP से आजादी'- शिवसेना नेता संजय राउत ने किया कटाक्ष

शिवसेना नेता संजय राउत ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले पर भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि इस बार लोग गुस्से में हैं और उन्होंने यह देखने की जहमत नहीं उठाई होगी कि प्रधानमंत्री या गृह मंत्री कौन हैं। इसलिए तीनों कानूनों को रद्द कर दिया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कटाक्ष करते हुए शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र ने दो साल पहले 'आजादी' हासिल की थी। राउत ने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए बिना कहा, "हमने सही कदम उठाया, महाराष्ट्र को दो साल पहले आजादी मिली।"
बता दें कि राज्य में दो साल पहले नवंबर 2019 में विधानसभा चुनावों में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस सरकार ने राज्य में सत्ता संभाली थी।

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शिवसेना नेता संजय राउत ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले पर भी बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि 1947 में ब्रिटिश शासकों के पतन के परिणामस्वरूप 'भारत छोड़ो' आंदोलन कैसे हुआ। राउत ने कहा, "इस बार लोग गुस्से में हैं और उन्होंने यह देखने की जहमत नहीं उठाई होगी कि प्रधानमंत्री या गृह मंत्री कौन हैं.. इसलिए तीनों कानूनों को रद्द कर दिया गया है।"

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महाराष्ट्र के नासिक में एक पार्टी कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि शिवसेना आगामी नासिक नगर निगम चुनावों में 122 में से कम से कम 100 सीटें जीतकर सत्ताधारी बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर देगी। पीएम के शुक्रवार के फैसले पर प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के बयान को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार देते हुए राउत ने कहा कि अगर वह वास्तव में इतना दुखी महसूस कर रहे हैं, तो हम उन्हें एक सांत्वना संदेश भेजेंगे और एक शोक सभा आयोजित करेंगे।

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चंद्रकांत पाटिल ने यह कहते हुए पलटवार किया कि सरकार कुछ लोगों को तीन कृषि कानूनों पर राजी नहीं कर सकी और इसलिए उन्हें निरस्त कर दिया गया। जबकि विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि पीएम मोदी ने कानूनों को खत्म करने के लिए अपनी कार्रवाई से 'दुर्लभ उदारता' दिखाई है।

शुक्रवार को पीएम मोदी द्वारा तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का राज्य में सत्तारूढ़ एमवीए सहयोगियों, किसान संगठनों, सामाजिक समूहों और कृषि कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया, जिन्होंने इसे पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे किसानों की 'जीत' करार दिया है।

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