मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जरांगे ने सोमवार को ‘यू-टर्न’ लेते हुए कहा कि वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे। साथ ही उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल करने वाले अपने समर्थकों से अपना नाम वापस लेने को कहा। सोमवार को नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन है। राज्य विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होंगे और मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी।
चुनावी प्रक्रिया में भाग न लेने का यह फैसला ‘मैराथन’ बैठकों के बाद लिया गया। जरांगे का यह निर्णय उनकी पहले की उस रणनीति में एक उल्लेखनीय बदलाव को दर्शाता है जब उन्होंने कुछ उम्मीदवारों का समर्थन या विरोध करने के लिए कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को चिह्नित किया था।
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जरांगे ने सोमवार की सुबह अंतरवाली सराटी गांव में पत्रकारों से कहा, ‘‘काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने राज्य में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। मराठा समुदाय खुद तय करेगा कि किसे हराना है और किसे चुनना है। मैं किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को समर्थन नहीं दे रहा और ना ही मेरा उनसे कोई संबंध है।’’
कार्यकर्ता ने कहा कि उन पर सत्तारूढ़ महायुति या विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) का कोई दबाव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझ पर किसी का कोई दबाव नहीं है। मराठा हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के आधार पर समुदाय स्वयं ही निर्णय लेगा कि उसे किसे समर्थन देना है।’’ उन्होंने मतदाताओं से उम्मीदवारों से लिखित या वीडियो के जरिये मराठा हितों का समर्थन करने का वचन मांगने का आग्रह किया।
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जरांगे ने कहा कि उनके जिन सहयोगी दलों ने उनके समर्थन से विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था, उन्होंने रविवार देर रात तीन बजे तक अपने प्रत्याशियों की सूची नहीं भेजी।उन्होंने कहा, ‘‘वे कल आए और कहा कि वे (रविवार को) शाम छह-सात बजे तक अपनी सूची भेज देंगे, लेकिन सूची नहीं पहुंची। हम 14 सीट पर चुनाव लड़ने वाले थे और 11 सीट पर फैसला लंबित था। हम एक ही समुदाय (मराठा) के वोट से चुनाव नहीं जीत सकते।’’
मनोज जरांगे ने कहा कि उनके पास चुनाव से पीछे हटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास राजनीति का लंबा अनुभव नहीं है। मैं उम्मीदवारों से अपील करता हूं कि वे अपने नामांकन पत्र वापस ले लें। मराठा आरक्षण के लिए हमारा आंदोलन चुनाव के बाद भी जारी रहेगा।’’ जरांगे ने यह भी कहा कि वह किसी भी उम्मीदवार को निशाना बनाना या हराना नहीं चाहते क्योंकि ‘‘कोई भी हमारे काम का नहीं है’’। उन्होंने कहा कि लोग इतने समझदार हैं कि वे निर्णय ले सकें कि किसे वोट देना है।
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यह पूछे जाने पर कि वह किन निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों को हराने का प्रयास करने की योजना बना रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘‘मराठा समुदाय को उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो हमें यह रिकॉर्ड करके वीडियो देंगे कि उम्मीदवार हमारी मांगों (मराठा आरक्षण के लिए) के साथ खड़ा है।’’ चुनावों पर अपने समुदाय के प्रभाव को लेकर विश्वास व्यक्त करते हुए जरांगे ने कहा, ‘‘इस राज्य में मराठा समुदाय के समर्थन के बिना कोई भी निर्वाचित नहीं हो सकता।’
उन्होंने मराठा समुदाय के लोगों से किसी भी राजनीतिक रैली में शामिल नहीं होने और किसी भी पार्टी के बहकावे में न आने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘जिन लोगों ने मराठा समुदाय के साथ अन्याय किया है या उसे परेशान किया है, उन्हें मतदान के माध्यम से सबक सिखाया जाना चाहिए।’’ जरांगे ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि आरक्षण के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा।
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जरांगे ने रविवार को कहा था कि वह विधानसभा चुनाव में पार्वती और दौंड निर्वाचन क्षेत्रों से दो उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे लेकिन उनके नामों का खुलासा बाद में किया जाएगा। दोनों सीट वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास हैं। जरांगे बीजेपी पर मराठा आरक्षण का विरोध करने का अक्सर आरोप लगाते रहे हैं।
जरांगे ने पहले घोषणा की थी कि वह फुलम्ब्री, कन्नड़ (छत्रपति संभाजीनगर में), हिंगोली, पाथरी (परभणी) और हदगांव (नांदेड़) में उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। उन्होंने दावा किया था कि वह भोकरदन (जालना), गंगापुर (छत्रपति संभाजीनगर), कलमनुरी (हिंगोली), गंगाखेड और जिंतूर (परभणी) और लातूर में औसा के मौजूदा विधायकों को हराने के लिए प्रचार करेंगे। ये विधायक राज्य में सत्तारूढ़ ‘महायुति’ गठबंधन के नेता हैं।
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