महाराष्ट्र कांग्रेस ने गुरुवार को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की और विभिन्न सरकारी अस्पतालों में सिलसिलेवार मौतों की उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को हटाने की मांग की। कांग्रेस ने इस मुद्दे और लोगों, किसानों, कानून-व्यवस्था और महिलाओं से जुड़े अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा के लिए राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाने का भी आह्वान किया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले, कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष एम. आरिफ नसीम खान, विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार, मुंबई पार्टी प्रमुख प्रो. वर्षा गायकवाड़ और अन्य नेताओं ने राज्यपाल से मृतकों के परिजनों के लिए 10-10 लाख रुपये के मुआवजे की भी मांग की।
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प्रतिनिधिमंडल ने गवर्नर को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें बताया कि कैसे नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल 48 घंटे में 16 शिशुओं समेत 31 लागों, छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 24 घंटे में 14 मौतें और नागपुर के मेयो अस्पताल में 24 घंटे में 23 मरीजों की मौतें शामिल हैं। ये सारी घटनाएं एक सप्ताह के भीतर की हैं।
उन्होंने बताया कि इससे पहले अगस्त के मध्य में कैसे ठाणे जिले से सटे ठाणे नगर निगम के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में 24 घंटों में 18 मरीजों की मौत हो गई। प्रतिनिधिमंडल के नेताओं ने राज्यपाल से कहा, "इन मौतों का कारण यह है कि राज्य स्वास्थ्य प्रणाली 'वेंटिलेटर' पर है। राज्य सरकार की उदासीनता के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।"
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कांग्रेस नेताओं ने राज्यपाल से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है जो राज्य सरकार की विफलता को दर्शाता है और इसलिए स्वास्थ्य मंत्री को तत्काल इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए।
सत्ताधारी शिवसेना सांसद हेमंत एस. पाटिल द्वारा नांदेड़ अस्पताल के कार्यवाहक डीन डॉ. एस.आर. वाकोडे को शौचालय/मूत्रालय साफ करने के लिए मजबूर करने की घटना का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सत्ताधारी दलों के सांसदों/विधायकों द्वारा सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ बल प्रयोग में वृद्धि के बावजूद गृह विभाग उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है, जिससे सरकारी कर्मचारियों में नाराजगी है।
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अन्य मुद्दों का जिक्र करते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने नौ कंपनियों के माध्यम से विभिन्न रिक्त आधिकारिक पदों को 'अनुबंध के आधार पर' भरने का निर्णय लेकर राज्य में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को धोखा दिया है। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से कहा, "इसने अप्रत्यक्ष रूप से एससी/एसटी/ओबीसी आदि जैसी विभिन्न श्रेणियों के लिए आरक्षण को खत्म करने की कोशिश की है और इसलिए सरकार के इस कदम को रद्द किया जाना चाहिए।"
कांग्रेस नेताओं ने राज्य में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार, छेड़छाड़, अपहरण और अन्य अपराधों में 22 प्रतिशत की भारी वृद्धि का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य का गृह विभाग इस पर अंकुश लगाने में विफल रहा है। कांग्रेस ने राज्यपाल से इस मामले की व्यक्तिगत रूप से जांच करने का आग्रह किया।
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