महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर जारी विरोध-प्रदर्शन ने औरंगाबाद में हिंसक रूप ले लिया, जिसकी चपेट में आकर एक पुलिसकर्मी और दो अन्य लोग घायल हो गए। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में मराठा क्रांति मोर्चा द्वारा विरोध-प्रदर्शन किए गए। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने औरंगाबाद जिले के कैगांव में एक दमकल वाहन में आग लगा दी। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने हिंगोली में भी एक पुलिस जीप में आग लगा दी। विरोध-प्रदर्शन के दौरान एक और आंदोलनकारी युवक गोदवारी नदी में कूद गया, हालांकि उसे बचा लिया गया।
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इससे पहले यहां एक 28 वर्षीय काकासाहेब दत्तात्रेय शिंदे ने सोमवार शाम आरक्षण की मांग को लेकर गोदावरी नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी। शिंदे की मौत के प्रतिक्रियास्वरूप राज्य में कई जगहों पर बंद किया गया। सड़क और रेल मार्गो में व्यवधान उत्पन्न किया गया। कई जगह जुलूस निकाले गए और आगजनी की घटनाएं हुईं। वहीं बंद के दौरान बसें नहीं मिलने की वजह से यात्री काफी परेशान हुए।
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कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण, सचिन सावंत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता जितेंद्र अव्हाड समेत अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने फडणवीस सरकार से मराठा आरक्षण के मुद्दे को तत्काल सुलझाने का आग्रह किया है।
इस बीच महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री दीपक केसरकर ने मराठा आंदोलनकारियों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे का बातचीत के जरिए भी हल निकाला जा सकता है। केसरकर ने कहा कि आंदोलनकारी शांति बनाए रखें, ताकि पंढरपुर से भगवान विट्ठल के दर्शन कर लौट रहे 15 लाख श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।
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मराठा क्रांति समाज ने कल यानी बुधवार, 25 जुलाई को भी बंद का आह्वान किया है। मराठा क्रांति समाज ने कहा है कि ठाणे, नवी मुंबई बंद रहेगा। बंद से स्कूल और कॉलेज को अलग रखा गया है। मराठा क्रांति समाज ने कहा कि उनका मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है।
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मराठा आंदोलनकारियों की मांगें:
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी 32 फीसदी है। अपनी मांगों को लेकर कई सालों से मराठा समुदाय के लोग आंदोलनरत हैं। इससे पहले मराठा समुदाय के लोगों ने 2016 में मजबूती से आरक्षण के मुद्दे को उठाया था और राज्य के कई हिस्सों में आरक्षण की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन किए गए थे। मराठा समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इसका हल निकालने की मांग की थी। हालांकि, उस वक्त फडणवीस सरकार ने किसी तरह से आंदोलन को शांत करा दिया था। लेकिन अब मराठा समुदाय के लोग अपनी मांगों को लेकर अड़ गए हैं।
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